भोपाल । नैशनल रेकॉर्ड ब्यूरो के ताजा आंकड़ों के सामने आने के बाद चौतरफा हमलों से घिरी सरकार ने सोमवार को एक बड़ी कामयाबी हासिल कर ली है। मध्यप्रदेश विधानसभा में दंड विधि संशोधन विधेयक सर्वसम्मति से पारित हो गया। इस विधेयक को राष्ट्रपति की मंजूरी के मिलने के बाद यह कानून की शक्ल ले लेगा। इस विधेयक में 12 साल से कम उम्र की बच्चियों के साथ बलात्कार पर फांसी की सजा का प्रावधान है। एनसीआरबी के आंकड़ों के मुताबिक मध्य प्रदेश में रेप के मामलों की संख्या देश में सबसे अधिक है। यह आंकड़े उस समय सामने आए जब सीएम की कुर्सी पर शिवराज सिंह चौहान ने 12 साल पूरे किए हैं। बीजेपी ने जहां 12 साल, बेमिसाल का नारा दिया था, वहीं विपक्ष ने 12 साल, प्रदेश बेहाल का नारा देकर सरकार को घेरा था। विधेयक पारित होने के बाद सीएम चौहान ने राज्य विधानसभा में कहा कि जो लोग 12 साल की मासूम बच्ची का बलात्कार करते हैं वे मनुष्य नहीं, पिशाच हैं और उन्हें जीने का कोई अधिकार नहीं। उन्होंने बताया कि लगातार पीछा करना भी गैर-जमानती अपराध के अंतर्गत आएगा और अपराधियों को सजा दी जाएगी। उन्होंने कहा कि महिलाओं के खिलाफ अपराध रोकने के लिए लोगों को जागरुक भी किया जाएगा। राज्य के कानून मंत्री रामपाल सिंह ने दंड विधि संशोधन विधेयक को सदन में पेश किया और विधेयक पर चर्चा के बाद इसे सर्वसम्मति से पारित कर दिया गया। इस संशोधन विधेयक के मुताबिक 12 साल तक की बच्ची के साथ दुष्कर्म या सामूहिक दुष्कर्म के मामले में अधिकतम फांसी की सजा दी जा सकती है। इसके अलावा विवाह करने का झांसा देकर संबंध बनाने और उसके खिलाफ शिकायत प्रमाणित होने पर तीन साल कारावास की सजा का प्रावधान नई धारा जोड़कर किया जा रहा है। एनसीआरबी के आंकड़ों के मुताबिक आंकड़ों के मुताबिक मध्यप्रदेश में 2016 में कुल 4882 महिलाओं के साथ बलात्कार हुए। यह संख्या देश में सबसे ज्यादा है। दूसरे नबंर पर उत्तरप्रदेश (4816) और तीसरे नंबर पर महाराष्ट्र (4189) है। इन आकंड़ों के बाद विपक्ष ने फिर शिवराज सरकार को कटघरे में खड़ा किया था। कांग्रेस प्रवक्ता के के मिश्र ने कहा था कि मुख्यमंत्री यह बताएं कि एक ओर वह खुद को बच्चियों का मामा बताते हैं और उनकी सुरक्षा को लेकर बड़ी-बड़ी बातें करते हैं तो फिर ऐसा कैसे हो रहा है। कांग्रेस का आरोप है कि मध्यप्रदेश में कानून का नहीं, जंगल राज है।