देहरादून। नेशनल- स्थायी एवं स्व-कीटाणुनाशन हाईजीन तकनीक के क्षेत्र में स्विस-स्थित अंतरराष्ट्रीय लीडर लिविंगॉर्ड महामारी शुरू होने के बाद से ही सार्स-सीओवी-2 और इसके वैरिएंट्स के खिलाफ लगातार 99 प्रतिशत असरदार दिखाई दी है, जिसके चलते बड़ी जीवनशक्ति वाला कोई वायरस नहीं उभर सका और ओमिक्रॉन का मामला भी इससे अलग नहीं होगा। यह तकनीक मानव कोरोना वायरस 229ई, सार्स-सीओवी-2 के मूल वाइल्ड वैरिएंट, सार्स-सीओवी-2 के भारतीय आइसोलेट (संभावित अल्फा वैरिएंट) और डेल्टा वैरिएंट के खिलाफ बेहद प्रभावी साबित हुई है। ये परीक्षण प्रतिष्ठित प्रयोगशालाओं और अनुसंधान संगठनों, जैसे फ्री यूनिवर्सिटी बर्लिन, यूनिवर्सिटी ऑफ एरिज़ोना यूएसए, आईआरएसएचए इंस्टीट्यूट इंडिया द्वारा किए गए हैं। फिलहाल भारत में कोविड-19 के मामलों में अचानक वृद्धि देखी जा रही है, जो तीसरी लहर की शुरुआत होने का संकेत है। पिछले कुछ दिनों में (4 जनवरी 2022 तक) कोविड-19 के रोजाना 37,000 से ज्यादा नए मामलों और ओमिक्रॉन के 1,892 मामलों की पुष्टि हुई है। ऐसे में हम ये मामले और ज्यादा बढ़ते जाने की ही उम्मीद कर सकते हैं, जैसा कि पूरी दुनिया में देखा जा रहा है। लिविंगॉर्ड तकनीक अपनी श्रेणी की सर्वोत्तम एंटीवायरल सुरक्षा प्रदान करती है। कोविड-19 वायरस के सभी उत्परिवर्तनों के खिलाफ 99 प्रतिशत की निरंतर प्रभावोत्पादकता लिविंगॉर्ड तकनीक वाली कार्रवाई के भौतिक मोड की शक्ति को गहराई से रेखांकित करती है। यह ओमिक्रॉन सहित हर किस्म के सूक्ष्म जीव या उत्परिवर्तन के लिए अबूझ बनी हुई है।
एरिज़ोना स्टेट यूनिवर्सिटी, टेम्पे, एज़ेड, यूएसए के डॉ. आबसार आलम ने कहा, “यह कहने में कोई हर्ज नहीं है कि लिविंगॉर्ड तकनीक का फिजिकल किल मैकेनिज्म ओमिक्रॉन जैसे वायरसों के विभिन्न म्यूटेशनों के खिलाफ कारगर है। वे पहले ही साबित कर चुके हैं कि यह सार्स-सीओवी-2 और डेल्टा वैरिएंट के खिलाफ काम करता है। सर्वाधिक संभावना इस बात की है कि उनकी तकनीक यह सुनिश्चित करेगी कि मास्क और कपड़े के अन्य अनुप्रयोगों पर बड़ी जीवनशक्ति वाला कोई वायरस न बचे।”
ये नतीजे ऐसे कई भौगोलिक क्षेत्रों के लिए सकारात्मक खबर बनकर सामने आए हैं, जो अभी भी डेल्टा वैरिएंट के प्रकोप से जूझ रहे हैं, साथ ही साथ ओमिक्रॉन के विस्फोट का शुरुआती चरण झेल रहे हैं। वे अपनी आबादी की रक्षा के लिए लिविंगॉर्ड फेसमास्क की एंटीवायरल क्षमताओं पर भरोसा कर सकते हैं। यह उम्मीद की जाती है कि बच्चे, जो अब विशेष रूप से इसके आसान शिकार हैं, इस खोज से सर्वाधिक लाभान्वित होंगे। आज की तारीख तक सभी वेरिएंट्स के खिलाफ लिविंगॉर्ड तकनीक की निरंतर प्रभावोत्पादकता पर मुहर लग जाने के बाद उम्मीद बंधी है कि टीकों के चलते समय के साथ प्रतिरोधक क्षमता कम होते जाने के बावजूद लिविंगॉर्ड मास्क निरंतर सुरक्षा प्रदान करते रह सकते हैं।
लिविंगॉर्ड ने आज यह भी घोषणा की है कि उसकी तकनीक की प्रभावशीलता को अन्य प्रकार के अधोस्तरों पर भी लागू किया जा सकता है। ऐसी क्षमताएं कई उद्योगों, जैसे एयरलाइंस, परिधान कंपनियों, हॉस्पिटैलिटी, हेल्थकेयर, लॉजिस्टिक्स या परिवहन उद्योग के लिए एक अद्वितीय अवसर बनकर सामने आती हैं। यह तकनीक इन उद्योगों को सुरक्षा की एक अतिरिक्त परत के साथ अपने ग्राहकों और कार्यबल के लिए अपनी सेवाएं जिम्मेदारीपूर्वक खोलने में मदद करती है। आज घोषित किए गए डेटा ने फ्री यूनिवर्सिटी बर्लिन और यूनिवर्सिटी ऑफ एरिज़ोना के शोधकर्ताओं द्वारा प्रस्तुत उस व्यापक साक्ष्य में इजाफा करते हुए यह सिद्ध कर दिया है कि लिविंगॉर्ड तकनीक वायरस और बैक्टीरिया, जैसे कि इन्फ्लूएंजा, सार्स-सीओवी-2, टीबी और ई. कोलाई बैक्टीरिया, स्टेफिलोकोसी तथा साल्मोनेला सहित झ99.9 प्रतिशत रोगाणुओं को लगातार नष्ट कर सकती है। लिविंगॉर्ड ने हाल ही में अमेज़न पर अपनी एंटीबैक्टीरियल और दुर्गंध-रोधी परिधान श्रृंखला लॉन्च की है।
भारत में उत्परिवर्तन और एक सुनिश्चित तीसरी लहर के सामने लिविंगॉर्ड की मजबूती के बारे में बात करते हुए लिविंगॉर्ड के सीईओ संजीव स्वामी ने कहा, “तीसरी लहर की तबाही से बचने के लिए यह बेहद महत्वपूर्ण हो जाता है कि हम बड़ी जिम्मेदारी के साथ कदम उठाएं। भारत जैसे विशाल और जोशीले देश में व्यक्तिगत जिम्मेदारी निभाना अत्यंत आवश्यक है। कोविड के हर प्रोटोकॉल का पालन करना और उपयुक्त उपकरणों का इस्तेमाल करना बहुत ही जरूरी हो गया है। कोविड-19 वैरिएंट के खिलाफ हमारी तकनीक के प्रभावी साबित होने की खबर इस सबूत को पुख्ता ही करती है कि लिविंगॉर्ड तकनीक फ्यूचर-प्रूफ है और आगे बढ़ने पर कोविड महामारी से यह स्थायी स्व-कीटाणुनाशन की पसंदीदा हाईजीन तकनीक के रूप में उभरेगी। उपभोक्ताओं द्वारा विशिष्ट परिस्थितियों में मास्क का सहारा लेते रहने के साथ हम उम्मीद करते हैं कि लिविंगॉर्ड मास्क सर्वोत्कृष्ट सुरक्षा के लिए उपभोक्ताओं की तरजीही पसंद बन जाएगा।“
संकट की इस घड़ी में लिविंगॉर्ड देश के साथ खड़ा है; उनके उत्पाद, मास्क एवं दस्ताने 6 महीने तक चलते हैं, जो बार-बार इस्तेमाल करने और धोने योग्य हैं। ये लिविंगॉर्ड तकनीक से बने हैं, जो आपके लिए और पृथ्वी के लिए सुरक्षित हैं। जबकि लिविंगॉर्ड के सभी उत्पाद लिविंगॉर्ड एंटीवायरल तकनीक से सुपरचार्ज किए जाते हैं, लिविंगगार्ड मास्क के पीआरओ और अल्ट्रा (वाल्वरहित) वैरिएंट भी एन95/एफएफपी2 और एन98/एफएफपी3 मानकों के अनुरूप हैं, जिनकी सिफारिश ओमिक्रॉन वैरिएंट से बचाव के लिए की जा रही है। लिविंगॉर्ड मास्क अमेज़न, फ्लिपकार्ट, नायका, नेटमेड्स, 1एमजी, सीनियॉरिटी जैसे कई प्रमुख ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म पर उपलब्ध हैं। वे स्थानीय केमिस्टों, जैसे नोबल, वेलनेस फॉरएवर और अन्य केमिस्टों के पास भी उपलब्ध हैं।
Check Also
सीएम धामी ने विधानसभा गैरसैंण में एक पेड़ मां के नाम अभियान के तहत किया वृक्षारोपण
देहरादून (सू0वि0) । मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने विधानसभा गैरसैंण (भराड़ीसैंण) स्थित मुख्यमंत्री आवास परिसर …