
B. of Journalism
M.A, English & Hindi
सावित्री पुत्र वीर झुग्गीवाला द्वारा रचित-
Virendra Dev Gaur Chief Editor (NWN)
इतिहास की ऑखाे में ऑखें डाल, सॅवार भविष्य की चाल और ढाल
गंगा-जमुनी संस्कृति का रट्टा मारने वालो
इतिहास के ऊपर आल्थी-पाल्थी मारकर बैठने वालो
पूरी दुनिया में चल रहे जिहाद को
पुचकारने और दुलारने वालो
पन्द्रह सौ बरस पुराने जिहाद को
नासमझी के चलते झुठलाने वालो
जानबूझ कर जिहाद पर पर्दा डालने वालो
ज़रा नालन्दा के खंडहरों को खंगालो।
चाणक्य वाले प्राचीन विश्वविद्यालय तक्षशिला के
अवशेषों में कथित बुद्धिजीवियो झाँको
जहाँ आज बोलती है जिहादिस्तान की तूती
विक्रमशील विश्वविद्यालय को याद करो
अंहकार छोड़कर ज़रा सोचो।
इस्लामी जिहाद का सैलाब वह सब बहा ले गया
हमारी हज़ारों सालों की संस्कृति को तहस-नहस कर गया
हमारी बौद्धिक ताकत को स्वाहा कर गया
इक़बाल के एक खोखले शेर ने तुम्हे गुमराह कर दिया
अरे भारतवासी तूने सब कुछ गँवा दिया।
ऐ भारतीय देख ढंग से देख
उजाड़े गए नालन्दा के विश्वविद्यालय को देख
मोहम्मद गोरी के सिपहसालार ने उजाड़ा था इसे
जिहाद की आग में जलाया था इसे
देख वहाँ जाकर देख
टूट गया बिखर गया पर झुका नहीं
जल्लाद-जिहाद के आगे पाँवों पर अड़ा रहा
छाती ताने कटी गर्दन लेकर आज भी खड़ा है
लेकिन भारतवासी तू लापरवाह सोया पड़ा है।
जिहादिस्तान जिहाद का बच्चा है
कश्मीर उसका अगला मुकम्मल निशाना है
कश्मीर के मुसलिम नेताओं का मकसद
भारत के कुछ देशभक्त नेताओं को उलझाना है
कश्मीर तो एक फौरी बहाना है
पूरे भारत में इन्हे इस्लाम के शरियत को फैलाना है
तालिबानी सोच को जड़ से जमाना है
भारतवासी तू खामखाँ हाँ प्यारे खामखाँ
इन्सानियत का बना हुआ दीवाना है
पर भले ही मर मिटें हम शूरवीरो
हमें इस बार जमाने को बताना है
भारत ही कट्टर इस्लाम का करेगा शर्तिया इलाज़
झपटेगा इन्सानियत के शत्रुओं पर बनकर क़यामती बाज़।
– जय भारत – जय जवान -जय स्वच्छकार