
Virendra Dev Gaur (Chief Editor)
जम्मू का बलात्कार काण्ड राजनीति की भेंट न चढ़ जाए। यह जघन्य काण्ड मानवता को शर्मसार तो करता ही है यह भारतीयता के लिए कलंक से कम नहीं। 8 साल की बालिका के साथ जघन्य दुराचार हैवानियत का प्रमाण है। इसमें राजनीति तलाशने वाले गुनाहगारों से भी बड़े पापी हैं। चाहे महबूबा मुफ्ती हों या कोई और-सब इस मामले को राजनीतिक तूल दे रहे हैं। ऐसी स्थिति में न्याय की गुंजाइश समाप्त हो जाती है। न्यायालय को इस मामले में कठोर से कठोर दण्ड तय करना चाहिए। हमारा भारतीय समाज बलात्कारों के लिए कुख्यात होता जा रहा है। भारत जैसे धार्मिक देश में मात्र एक बलात्कार भी हम सबके लिए डूब मरने वाली बात होनी चाहिए। इसके उलट अब हम तो बलात्कारों की खबरों को न केवल मनोरंजन बनाकर पेश कर रहे हैं बल्कि ऐसी खबरें पढ़कर मनोरंजन भी कर रहे हैं। यौन बलात्कार चाहे बच्ची का हो या औरत का – यह महापाप है। इस महापाप की बाढ़ को रोकने के लिए देष में अलग से अदालतों का गठन किया जाना चाहिए। इन अदालतों में कठोर परीक्षा से निकले जज नियुक्त किये जाने चाहिए जिनसे ईमानदारी की उम्मीद की जा सके। इन अदालतों के लिए अलग संविधान का गठन होना चाहिए। यही नहीं बल्कि ऐसे जजों की भर्ती के लिए अलग कमीशन गठित होना चाहिए। ऐसे संविधान के तहत एक महीने के अन्दर निपटारा होना चाहिए। ऐसी अदालतें रात दिन चलनी चाहिए ताकि लोगों का भरोसा जमें और पीड़ित महिलाओं को आत्महत्या न करनी पड़े। बलात्कारी को मौजूदा लोकतंत्र में ही सरेआम फांसी की सजा का प्रावधान होना चाहिए। झूठे मानवाधिकारों की बातें करते-करते हम लोग नारी गरिमा को भुला बैठे हैं। हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि यह देश राम और श्याम का है रावण का नहीं। हमें चण्डीगढ़ के संवेदनशील वकीलों से सबक लेना चाहिए। ये वकील बधाई के पात्र हैं कि ये शोषित पीड़ित और मौत के मुंह में धकेल दी गयी 8 वर्षीय बालिका के पक्ष में मजबूती से खड़े हैं। यदि न्या को बचाने के लिए इस तरह वकील आगे आते हैं तो इसे एक शुभ संकेत माना जा सकता है।