सावित्री पुत्र वीर झुग्गीवाला द्वारा रचित-
Virendra Dev Gaur Chief Editor (NWN)
भारत की धरती कश्मीर
पड़ोसी की बनकर रह गई जागीर
आधे पर वह षड़यंत्र रचता है
दूसरे आधे पर वह जिहाद का ताण्डव करता है।
नेहरू युग के लगे गहरे घाव गम्भीर
उगल रहे लहू रह-रह कर
हमारे वतनपरस्तों की पल-पल शहादत पर
नाच रहा जिहादिस्तान जिहाद की भाँग पी-पी कर।
दुनिया को फिर-फिर समझाओ जाकर
कहो छिछोरी अन्तर्राष्ट्रीय राजनीति से सुनो, बाज आकर
कहो पूरा कश्मीर हमारा है चिल्ला-चिल्ला कर
विदेशी ताकतों की खोटी नीयत पर करो चोट जा-जाकर
भारत सबसे बड़ा लोकतंत्र है समझाओ घूम-घूम कर
बताओ सबको जिहादिस्तान का खूनी जिहाद
इतिहास का दर्पण दिखा-दिखा कर
फौज की मुठ्ठी में रहा है वहां का खिलौना लोकतंत्र डर-डरकर।
जब तक पूरा कश्मीर बल से वापस नहीं लोगे
तब तक ऐसे ही पंगु लाचार बने रहोगे
गोली पत्थर गाली खाते रहोेगे
जिहादियों के हाथों मारे जाते रहोेगे
डरपोक कांग्रेस की कमजोर नीतियों का पिण्डदान कर दो
तलवारों की धार तेज कर लो
पीओके में ड्रैगनिस्तान की हरकतों की टाँग तोड़ दो
लहू की पुरानी माँग पूरी कर दो
जिहाद का काम हमेशा के लिए तमाम कर दो।