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Jawalkar and ghldiyal

गौरीकुण्ड को फिर सदाबहार बनाएंगे दिलीप जावलकर

संपादकीय

Jawalkar and ghldiyal

पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज के कर्मठ पर्यटन एवं संस्कृति धर्मस्व सचिव दिलीप जावलकर उत्तराखण्ड के धर्मपरायण लोगों की आस्था के केन्द्र गौरीकुण्ड को पुनर्जीवित कर एक मिसाल कायम करने की राह पर हैं। रुद्रप्रयाग के विश्व प्रसिद्ध श्री केदारनाथ धाम पर जून 2013 में प्रलय टूट पड़ी थी। इस प्रलय में श्री केदारनाथ धाम के निचले हिस्से में स्थित पवित्र गौरीकुण्ड तहस-नहस हो कर रह गया था। जहाँ श्री केदारनाथ में साक्षात शिवबाबा विराजमान हैं वहीं गौरीकुण्ड भगवती स्वरूपा गौरी (पार्वती) माता के पावन धाम के रूप में स्थापित रहा हैं। गौरी कुण्ड की पुनर्स्थापना से बढ़कर कोई काम नहीं हो सकता। लाखों-करोड़ों की आस्था के साथ-साथ यह पवित्र कुण्ड रुद्रप्रयाग के तमाम स्थानीय लोगों के लिए रोजगार का भी एक जरिया था जो कि 2013 में चरमरा उठा था। न केवल हजारों का रोजगार छिन गया था बल्कि यह खूबसूरत गौरीकुण्ड उत्तराखण्ड के धर्माटन मानचित्र से धुल कर रह गया था इसलिए दिलीप जावलकर की इस मामले में तारीफ की जानी चाहिए। जगह-जगह इस रूट पर पानी की निकासी और बहाव को नियंत्रित करने की कोशिश भी सराहनीय है। अगस्त्यमुनि में बनाए जा रहे पार्किंग स्थल की कमियों को दूर कराने की कोशिश के साथ-साथ सोनप्रयाग में प्रस्तावित हैलीपेड के लिए दोबारा सर्वे कराए जाने का निर्देश भी पर्यटन मंत्रालय की सजकता का प्रमाण माना जा सकता हैं। गौरीकुण्ड की सुरक्षा के लिए बनाई जा रही सुरक्षा दीवार हो या फिर मन्दाकनी नदी के अलावा सरस्वती नदी की सुरक्षा के लिए हो रहा निर्माण कार्य हो-ये सभी तारीफ के लायक प्रयास हैं- जो मौजूदा विपरीत हालातो में भी प्रगति पथ पर हैं। राज्य को दिलीप जावलकर जैसे कर्मठ और लगनशील अफसरों के रहते उम्मीद की रोशनी दिखाई दे रहीं है। मंगे घिल्डियाल जैसे नेक और कर्तव्यपरायण जिला अधिकारी के रहते बार-बार कुदरती आपदाओं से सिहर उठने वाला रूद्रप्रयाग पर्यटन और धर्माटन के मामले मे अच्छी प्रगति कर सकता है बर्ते पर्यटन विभाग, गढ़वाल मण्डल विकास निगम, लोकनिर्माण विभाग, सिचाई विभाग, वन विभाग,जिला प्रशासन और उड्डयन मंत्रालय का आपस में बेहतरीन तालमेल हो। यदि ऐसे प्रयास कारगर होते रहे तो आने वाले समय में पलायन की गति भी धीमी पड़ जाएगी।

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