नई दिल्ली। राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग की सहायता से पिछले पांच सालों में रेलवे सुरक्षा बल ने पुरे देश में 88 प्रमुख रेलवे स्टेशनों पर 43000 खोए हुए बच्चों को बचाया है। रेलवे सुरक्षा बल के प्रबंध निदेशक अरुण कुमार के अनुसार भारतीय रेलवे के लिए ये साल महिलाओं एवं बच्चों की सुरक्षा का साल घोषित किया गया है। जिसके तहत बच्चों की सहायता हेतु एक विशेष हेल्पलाइन नंबर की शुरुआत की है। इसके साथ ही रेलवे कर्मियों को ऐसे बच्चों की पहचान और शक के घेरे में आये लोगों जो बच्चों की सप्लाई करते हैं की जांच पड़ताल हेतु खास ट्रेनिंग भी दी जा रही है। रेलवे सुरक्षा बल की आधिकारिक डाटा के अनुसार 2015 से अब तक राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग द्वारा बच्चों और महिलाओं की सुरक्षा हेतु चलाये जा रहे अभियान के तहत बचाये गए बच्चो की संख्या बढ़ती जा रही है। एनसीपीसीआर ने रेलवे स्टेशनों पर बच्चों की सहायता हेतु काफी सहयोग किया है। साथ ही आंकड़ों के मुताबिक ये भी पाया गया है कि रेलवे स्टेशन बच्चों को विस्थापित करने का प्रमुख साधन है और बाल श्रम, मानव तस्करी, अंग विरूपण आदि जैसे विभिन्न उद्देश्यों के लिए इस्तेमाल किया जाता है। कार्यक्रम शुरू होने से पहले 2014 में, 5,294 बच्चों को रेलवे स्टेशनों से बचाया गया था। यह आंकड़े बढ़ कर 2015 में 7,044 हो गए, 2016 में 8,593 और 2017 में 11,178 हो गया। इस साल अक्टूबर तक 11,151 बच्चों को बचाया जा चुका है। जनहित फाउंडेशन की निदेशक अनीता राणा के अनुसार, बच्चे को सबसे पहले आरपीएफ कर्मियों के पास ले जाया जाता है, 1098 बच्चो की सुरक्षा हेल्पलाइन पर एक कॉल किया जाता है, तब बच्चे की सहायता हेतु टीम आकर बच्चे को ले जाती है। 24 घंटे के भीतर बाल कल्याण समिति के समक्ष बच्चे को पेश करना पड़ता है जिसके बाद बच्चे की उम्र का आकलन किया जाता है, चिकित्सा जांच होती है और फिर आश्रय घर में बच्चे को भर्ती कर दिया जाता है। जिसके उपरांत बच्चों के माता-पिता का पता लगाने की कोशिश जारी रहती है, और पता चलने पर सत्यापन के बाद बच्चे को सौंप दिया जाता है। अब तक बचाए गए बच्चों की कुल संख्या में से 22,343 रनवे में पाए गए थे, 1,766 बच्चों की तस्करी की जा रही थी और 9,404 सड़क से उठाये गए बच्चे थे। कुल मिलाकर 33,416 लड़के और 9,844 लड़कियां थीं। रेलवे सुरक्षा बल के अधिकारी के अनुसार एनसीपीआरसी स्टेशनों के लिए गैर सरकारी संगठनों की पहचान करती है। गैर सरकारी संगठनों को नामित करने के लिए उनसे संपर्क करना आवश्यक है क्योंकि इन बच्चों को किसी संगठनों को तब तक नहीं सौंपा जा सकता जब तक कि वे प्रमाणित और मान्यता प्राप्त न हों। रेल मंत्रालय ने अब 174 अधिक रेलवे स्टेशनों को कवर करने के लिए अपनी मंजूरी दे दी है, और उन पर काम शुरू कर दिया गया है।
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