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चपरासी के भरोसे छोड़ा त्यूनी का अस्पताल

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देहरादून (का0सं0) । त्यूनी प्राथमिक स्वास्थ्य केंन्द्र सच में ही भगवान भरोसे चल रहा है यहाँ न तो डॉक्टर है और न ही पर्याप्त दवाईया। एक तरफ राज्य सरकार और स्वास्थ्य बिभाग समुचित स्वास्थ्य ब्यबस्था होने के दावे कर रही है। दूसरी और बिना इलाज के मौतो के आंकड़े इनकी दावो की हवा निकाल रहे है। कुछ दिनों पूर्ब जनता के आक्रोस को देखते हुए एक डॉक्टर की तैनाती त्यूनी में की गई थी लेकिन एक एक्सिडेंट के मामले में ग्रामीणों और डॉक्टर की झड़प के कारण वहाँ तैनात चिकित्सक छुट्टी चला गया । 20 दिनों से सिर्फ एक चपरासी के भरोसे इस चिकित्सालय को छोड़ा गया है।जनपद के त्यूनी के इस स्वास्थ्य केंद्र में देहरादून जिले के बस्तील,चिलाड ,रेडु,मुंधोल,कुणा,अटाल, उत्तरकाशी के बेगल,आराकोट,चिवा,किराणु,भटाणु,के साथ हिमांचल के भी थगाड,रमदड़ा,सोलंग,पंदरानु,सहित दर्जनों गावो के रोगियो को उपचार हेतु लाया जाता है लेकिन चिकित्सक न होने के कारण रास्ते में ही मरीज दम तोड़ जाते है।छेत्र के जागरूक नागरिक भरत सिंह राणा कहते है कि कई बार छेत्र की पीड़ा बिभाग से लेकर मंत्री मुख्यमंत्री तक पहुचाई गई लेकिन कोई सुनने बाला नहीं।त्यूनी हॉस्पिटल की उपेक्षा का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि यहाँ पर न ही बाल रोग बिशेषज्ञ,महिला चिकित्सक, दंतरोग चिकित्सक की तैनाती की गई है। बल्कि नर्स और चौकीदार भी नहीं है।सिर्फ एक फार्मासिस्ट के भरोसे अस्पताल को छोड़ा गया था वह भी अब नहीं है।सवाल यह भी है की अभी चन्द रोज पूर्ब इस छेत्र में सड़क दुर्घटना हुई थी जिसमे की चार दर्जन लोगो की मौत हुई कई घायलो को सिर्फ इसलिए जान गवानी पड़ी, की समय से और पर्याप्त उपचार नहीं मिल पाया था लेकिन यह सब होने बाद भी तंत्र जागा नहीं। बल्कि लगभग 100 गावो की आबादी को स्वास्थ्य सुबिधाओं से बंचित रखा जा रहा है। यहाँ अन्य बीमारियो के साथ ही मातृशक्ति को भी जिंदगी और मौत से जूझना पड़ता है ।चौकाने वाली बात यह है कि इस केंद्र में प्रसव भी नहीं करवाये जाते कारण महिला चिकित्सक का न होना।प्रसव पीड़ा के साथ ही अन्य इलाज के लिए भी या तो हिमांचल जाना पड़ता है या फिर 150 किलोमीटर दूर विकासनगर मरीजो को लाया जाता है।भरत राणा बताते है कि कई बार तो मरीज रास्ते में ही दम तोड़ देते है।हैरानी इसबात से भी होती है कि उक्त छेत्र में आये दिनों दुर्घटनाये होती रहती है फिर भी इस हॉस्पिटल की सुध क्यों नहीं ली जा रही है? राजधानी जहाँ सरकार बैठी है बिभाग के आला अधिकारी मौजूद है फिर भी कुछ किलोमीटर दूर के हॉस्पिटलों में डॉक्टरों और दवाई की पर्याप्त ब्यवस्था नहीं है तो पहाड़ी जनपदों में क्या हालात होंगे इससे अंदाजा लगाया जा सकता है। हालांकि नई सरकार से लोगो को काफी उम्मीद है लेकिन छेत्र वासियो में हो रही उपेक्षा से गुस्सा भी कम नहीं है ग्रामीण उमेद राणा कहते है की सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र त्यूनी में कोई भी डॉक्टर तैनात नहीं है प्राथमिक स्वास्थ्य से ही हमको बंचित किया जा रहा है। मुख्य चिकित्सा अधिकारी देहादुन कहते है की जिस डॉक्टर की तैनाती की गई थी उनके साथ मारपीट की घटना होने के कारण वह छुट्टी चले गए है।चकराता से ब्यवस्था की गई है। ग्रामीण रोशन चौहान कहते है की कोई भी डॉक्टर त्यूनी हॉस्पिटल में नहीं है अधिकारी झूट बोल रहे है। राजधानी के इस हॉस्पिटल की दुर्दसा के लिए सरकार के साथ स्वास्थ्य बिभाग भी दोषी है।देहरादून। त्यूनी प्राथमिक स्वास्थ्य केंन्द्र सच में ही भगवान भरोसे चल रहा है यहाँ न तो डॉक्टर है और न ही पर्याप्त दवाईया। एक तरफ राज्य सरकार और स्वास्थ्य बिभाग समुचित स्वास्थ्य ब्यबस्था होने के दावे कर रही है। दूसरी और बिना इलाज के मौतो के आंकड़े इनकी दावो की हवा निकाल रहे है। कुछ दिनों पूर्ब जनता के आक्रोस को देखते हुए एक डॉक्टर की तैनाती त्यूनी में की गई थी लेकिन एक एक्सिडेंट के मामले में ग्रामीणों और डॉक्टर की झड़प के कारण वहाँ तैनात चिकित्सक छुट्टी चला गया । 20 दिनों से सिर्फ एक चपरासी के भरोसे इस चिकित्सालय को छोड़ा गया है।जनपद के त्यूनी के इस स्वास्थ्य केंद्र में देहरादून जिले के बस्तील,चिलाड ,रेडु,मुंधोल,कुणा,अटाल, उत्तरकाशी के बेगल,आराकोट,चिवा,किराणु,भटाणु,के साथ हिमांचल के भी थगाड,रमदड़ा,सोलंग,पंदरानु,सहित दर्जनों गावो के रोगियो को उपचार हेतु लाया जाता है लेकिन चिकित्सक न होने के कारण रास्ते में ही मरीज दम तोड़ जाते है।छेत्र के जागरूक नागरिक भरत सिंह राणा कहते है कि कई बार छेत्र की पीड़ा बिभाग से लेकर मंत्री मुख्यमंत्री तक पहुचाई गई लेकिन कोई सुनने बाला नहीं।त्यूनी हॉस्पिटल की उपेक्षा का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि यहाँ पर न ही बाल रोग बिशेषज्ञ,महिला चिकित्सक, दंतरोग चिकित्सक की तैनाती की गई है। बल्कि नर्स और चौकीदार भी नहीं है।सिर्फ एक फार्मासिस्ट के भरोसे अस्पताल को छोड़ा गया था वह भी अब नहीं है।सवाल यह भी है की अभी चन्द रोज पूर्ब इस छेत्र में सड़क दुर्घटना हुई थी जिसमे की चार दर्जन लोगो की मौत हुई कई घायलो को सिर्फ इसलिए जान गवानी पड़ी, की समय से और पर्याप्त उपचार नहीं मिल पाया था लेकिन यह सब होने बाद भी तंत्र जागा नहीं। बल्कि लगभग 100 गावो की आबादी को स्वास्थ्य सुबिधाओं से बंचित रखा जा रहा है। यहाँ अन्य बीमारियो के साथ ही मातृशक्ति को भी जिंदगी और मौत से जूझना पड़ता है ।चौकाने वाली बात यह है कि इस केंद्र में प्रसव भी नहीं करवाये जाते कारण महिला चिकित्सक का न होना।प्रसव पीड़ा के साथ ही अन्य इलाज के लिए भी या तो हिमांचल जाना पड़ता है या फिर 150 किलोमीटर दूर विकासनगर मरीजो को लाया जाता है।भरत राणा बताते है कि कई बार तो मरीज रास्ते में ही दम तोड़ देते है।हैरानी इसबात से भी होती है कि उक्त छेत्र में आये दिनों दुर्घटनाये होती रहती है फिर भी इस हॉस्पिटल की सुध क्यों नहीं ली जा रही है? राजधानी जहाँ सरकार बैठी है बिभाग के आला अधिकारी मौजूद है फिर भी कुछ किलोमीटर दूर के हॉस्पिटलों में डॉक्टरों और दवाई की पर्याप्त ब्यवस्था नहीं है तो पहाड़ी जनपदों में क्या हालात होंगे इससे अंदाजा लगाया जा सकता है। हालांकि नई सरकार से लोगो को काफी उम्मीद है लेकिन छेत्र वासियो में हो रही उपेक्षा से गुस्सा भी कम नहीं है ग्रामीण उमेद राणा कहते है की सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र त्यूनी में कोई भी डॉक्टर तैनात नहीं है प्राथमिक स्वास्थ्य से ही हमको बंचित किया जा रहा है। मुख्य चिकित्सा अधिकारी देहादुन कहते है की जिस डॉक्टर की तैनाती की गई थी उनके साथ मारपीट की घटना होने के कारण वह छुट्टी चले गए है।चकराता से ब्यवस्था की गई है। ग्रामीण रोशन चौहान कहते है की कोई भी डॉक्टर त्यूनी हॉस्पिटल में नहीं है अधिकारी झूट बोल रहे है। राजधानी के इस हॉस्पिटल की दुर्दसा के लिए सरकार के साथ स्वास्थ्य बिभाग भी दोषी है।

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