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? *ईश्वर चन्द्र ईश्वर चन्द्र विद्यासागर जी के जन्मदिवस पर विशेष
? *समाज में विधवासमाज में विधवाओं को भी मिले उचित स्थान
? *महिलाओं को शिक्महिलाओं को शिक्षा के साथ व्यवसायिक प्रशिक्षण देना भी अत्यंत आवश्यक
देहरादून/ऋषिकेश (दीपक राणा)। परमार्थ निकेतन के परमाध्यक्ष पूज्य स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी महाराज ने कहा कि भारत का इतिहास अत्यंत समृद्ध और गरिमामय है। इतिहास के पन्नों मेें ऐेसे अनेक वीर योद्धा, राजनीतिज्ञ, समाजशास्त्री, दर्शनिक और देशभक्तों का उल्लेख है जिन्होंने देश, समाज और संस्कृति की रक्षा के लिये अपने जीवन का बलिदान कर दिया। भारत की धरती पर ऐसे अनेक समाज सुधारक हुये जिन्होने अपने जीवन को ही उदाहरण के रूप में प्रस्तुत किया। ऐसे ही महान समाज सुधारक ईश्वर चन्द्र विद्यासागर जी का आज जन्मदिवस है। उन्होने समाज में व्याप्त कई रूढ़ियों को भ्रान्तियों को समाप्त कर उन्नत समाज के निर्माण में महत्वपूर्ण योगदान दिया।
ईश्वर चन्द्र विद्यासागर जी उन्नीसवीं शताब्दी के बंगाल के प्रसिद्ध दार्शनिक, शिक्षाविद, समाज सुधारक, लेखक, अनुवादक, मुद्रक, प्रकाशक, उद्यमी और परोपकारी व्यक्ति थे। वे बंगाल के पुनर्जागरण के स्तम्भों में से एक थे। वे नारी शिक्षा के प्रबल समर्थक थे। उनके प्रयास से ही कलकत्ता में एवं अन्य स्थानों में बालिका विद्यालयों की स्थापना हुई। उन्होनें विधवा पुनर्विवाह के लिए लोकमत तैयार किया। ईश्वर चंद्र विद्यासागर ने अथक प्रयास किया तथा उनके प्रयासों के फलस्वरूप 1856 ई. में हिन्दू विधवा पुनर्विवाह अधिनियम पारित किया गया। 1872 ई. में नेटिव मैरिज अधिनियम पारित करके 14 वर्ष से कम उम्र की लड़की तथा 18 वर्ष से कम उम्र के लड़के का विवाह निषिद्ध कर दिया।
पूज्य स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी महाराज ने कहा कि आज भी हमारे समाज में विधवाओं को उचित स्थान नहीं मिलता, विधवाओं को दूसरी महिलाओं से अलग दृष्टि से देखा जाता है। पूज्य स्वामी जी ने कहा कि ‘‘बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ,’’ महिला सश्क्तिकरण, महिला उत्थान, महिलाओं को सामाजिक बन्धनों से उपर उठकर शिक्षा के लिये प्रेरित करना वर्तमान समय की सबसे बड़ी आवश्यकता है। भारत में महिलाओं के लिये आज भी शिक्षा के क्षेत्र में बहुत कुछ करने की जरूरत है। उन्होने कहा कि अपने राष्ट्र को समृद्ध और उन्नतशील बनाने के लिये महिलाओं को शिक्षित करना जरूरी है। शिक्षा के साथ उन्हें व्यवसायिक प्रशिक्षण देना भी अत्यंत आवश्यक है ताकि उनके अन्दर जो कला है; जो हुनर है वह बाहर निकल कर आये जिससे वे आर्थिक रूप से मजबूत हो सके। पूज्य स्वामी जी ने कहा कि बेटियों को बेटों से कम न आँके। भारत की बेटियों ने भारत को अनेकों बार गौरवान्वित किया है।
पूज्य स्वामी जी ने कहा कि भारतीय समाज को बेटियों की सुरक्षा के प्रति प्रतिबद्ध होना होगा तभी हमारा देश और अधिक उन्नति कर सकता है। समाज में प्रत्येक स्तर पर महिला सशक्तीकरण तथा उनकी सामुदायिक भागीदारी के लिये प्रयास करने होंगे ताकि महिलाओं में आत्मविश्वास, नेतृत्व क्षमता जैसे गुणों का विकास हो।
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