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भारत के कई राज्यों में बाढ़ ने मचाई तबाही

भारत में जहां एक ओर लोग मानसून के आते ही खुशी से झूम उठते हैं और गर्मी से राहत महसूस करते हैं, तो वही कुछ हिस्सों में हर साल तबाही देखने को मिलती है। हाल की ही बात करें, तो भारत के कई हिस्सों में भारी बारिश के कारण बाढ़ आ गई। असम में ही बाढ़ की वजह से हर साल लोग अपनी जान गंवाते हैं। इस साल भी यही हालात देखने को मिले हैं। बाढ़ की वजह से कम से कम ११८ लोगों की मौत हुई है। बाढ़ ने ३६ में से ३२ जिलों को अपनी चपेट में ले लिया। साथ ही अप्रैल से अभी तक ५४.५ लाख लोग इससे प्रभावित हुए हैं। नागांव, होजई, कछार और दरांग में तबाही देखी गई है। साथ ही बराक घाटी में सिलचर सबसे ज्यादा प्रभावित हुआ। दीमा-हसाओ, गोलपारा, मोरीगांव और कामरूप में भूस्खलन आया। मेघालय में भी बाढ़ ने अपना कहर दिखाया है। बिहार में भी बाढ़ जैसी स्थिति देखी गई। वहीं जम्मू कश्मीर में भी बाढ़ मानवीय और आर्थिक तबाही मचाती है। तो ऐसे में लोगों के जहन में ये सवाल जरूर उठता होगा कि इन राज्यों में ही क्यों सबसे ज्यादा बाढ़ आती है?
१९ जून तक असम में ५३.४ एमएम बारिश हुई है। महज बीते महीने के पहले दो हफ्तों में ही ५२८.५ एमएम बारिश दर्ज हुई है। जो १०९ फीसदी तक अधिक है। पर्यावरणविद और जलवायु परिवर्तन जोखिम विश्लेषक असम की हर साल आने वाली बाढ़ के पीछे ३ कारण बताते हैं। जलवायु परिवर्तन, निर्माण गतिविधियों की निरंतरता और तेजी से औद्योगीकरण होने के चलते मौसम की ऐसी घटनाओं में वृद्धि होना।जब हर साल बाढ़ आती है, तो सरकार की तरफ से राज्य को पूरा सहयोग दिया जाता है। राज्य को न केवल वित्तीय मदद उपलब्ध कराई जाती है बल्कि राहत एवं बचाव कार्य के लिए सेना भी भेजी जाती है। बाढ़ को लेकर एनडीआरएफ का कहना है कि बाढ़ कितनी भयावह हो सकती है, ये भांपने की सुविधा कम रहती है। अब केंद्र सरकार नया फार्मूला लाने की तैयारी में है। इसका फैसला गृह मंत्री अमित शाह की अध्यक्षता में हुई एक बैठक में लिया गया था। बैठक बीते महीने की शुरुआत में हुई थी। जिसमें संबंधित मंत्रालयों और विभाग के मंत्री भी मौजूद थे।असम में काउंसिल ऑन एनर्जी, इनवायरमेंट एंड वॉटर के प्रोग्राम लीड अभिनाष मोहंती के अनुसार, असम में बड़ी संख्या में भूस्खलन की घटनाएं देखने को मिल रही हैं। जलवायु परिवर्तन की वजह से होने वाले भूस्खलन से बचाव के लिए योजना नहीं बनती। नदी के ओवरफ्लो होने पर पानी को अवशोषित करने वाली नहरों का प्रबंधन और विकास नहीं हो रहा। कई वर्षों से अनियंत्रित और बिना योजना के विकास हो रहा है। शहरीकरण बढ़ रहा है, विकास योजनाओं को न तो चेक किया जा रहा और न ही उनका निष्पादन हो रहा है। जमीनी स्तर पर ऐसा इन्फ्रास्ट्रक्चर तैयार नहीं हो रहा, जिसका प्रभाव जलवायु पर न पड़े। बिहार में इस साल आई बाढ़ के कारण कम से कम ३३ लोगों की मौत हुई है। अगस्त २०२१ में भी बाढ़ आई थी। भागलपुर जिला बाढ़ से सबसे अधिक प्रभावित रहा। गंगा नदी का स्तर ३४.७५  (मीटर टन सेकेंड) दर्ज किया गया, जो २०१६ में ३४.७२ द्वह्लह्य था। पटना के हथीदा में गंगा का एचएफएल (हाइएस्ट फ्लड लेवल) ४३.३३ दर्ज किया गया।

 


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