नई दिल्ली । बच्चे थाने में आकर पुलिस को देखकर डरें नहीं और उन्हें वहां ऐसा माहौल मिले ताकि उनके बाल मन में गलत प्रभाव ना पड़े, इसके लिए हर राज्य के हर जिले में चाइल्ड फ्रेंडली थाने बनाने की दिशा में काम हो रहा है। होम मिनिस्ट्री इसके लिए सैद्धांतिक तौर पर सहमत है और जल्द ही इस मसले पर राज्यों से चर्चा की जाएगी। हाल में नैशनल कमिशन फॉर प्रोटेक्शन ऑफ चाइल्ड राइट्स (एनसीपीसीआर) और होम मिनिस्ट्री के अधिकारियों के बीच इस मसले पर मीटिंग हुई। सूत्रों के मुताबिक इसमें कहा गया कि हर जिले में चाइल्ड फ्रेंडली थाने बनाने को लेकर मिनिस्ट्री सैद्धांतिक तौर पर सहमत है लेकिन यह काम राज्य सरकारों को करना है और यह भी ध्यान रखना होगा कि पुलिस बल कितना है। इसलिए पहले राज्यों से इस मसले पर चर्चा की जाएगी, जिसके बाद होम मिनिस्ट्री अपनी तरफ से सभी राज्यों को अडवाइजरी जारी कर सकती है। एनसीपीसीआर ने चाइल्ड फ्रेंड्ली थानों को लेकर एक गाइडलाइन भी तैयार की है जिसमें बताया गया है कि किस तरह बच्चों के लिए थाने में अलग इंतजाम होना चाहिए। एनसीपीसीआर मेंबर रूपा कपूर कहती हैं कि हमारी कोशिश है कि कम से कम हर जिले में एक चाइल्ड फ्रेंडली थाना तो बने। यह मुख्य थाने के पास ही अलग कमरे के रूप में हो सकता है। इसे बच्चों के हिसाब से सजाना चाहिए ताकि कोई भी बच्चा चाहे वह पीडि़त हो या आरोपी वह यहां आए तो उसे वहां दूसरे आने वाले आरोपियों से दूर रखा जा सके। वहां पुलिस कर्मी सादी ड्रेस में हों और बच्चा जब उनसे बात करे तो उसके मन में डर ना हो। उन्होंने कहा कि इससे बच्चे खुलकर अपनी बात बता सकेंगे। मिशन की कोशिश है कि चाइल्ड फ्रेंडली थाने अपने आसपास की कम्युनिटी के साथ भी काम करें ताकि वॉलंटिअर्स के जरिए पुलिस को इलाके में बच्चों की स्थिति के बारे में भी पता रहे और पुलिस वहां नजर रख सके कि कहीं बच्चों का शोषण तो नहीं हो रहा है या किसी बच्चे को अपराध की तरफ धकेला तो नहीं जा रहा है।
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