देहरादून (संवाददाता)। राजधानी की ट्रैफिक व्यवस्था पूरी तरह भगवान भरोसे चल रही हैं। ट्रैफिक निदेशालय के एक अनुमान के मुताबिक, यहां पंजीकृत साढ़े आठ लाख वाहनों के अलावा प्रतिदिन औसतन बाहर से 10 हजार से ज्यादा वाहन आते और जाते हैं। मगर, ट्रैफिक संचालन को 18 साल बाद भी सिर्फ 38 ट्रैफिक लाइट ही लग पाई हैं। हद तो यह है कि इनमें से भी आधी से ज्यादा लाइट अधिकांश समय खराब रहती हैं। शहर के व्यस्त चौराहे और तिराहे पर लगी कई ट्रैफिक लाइट यातायात संचालन के काम तो कम और दुर्घटना का कारण ज्यादा बन रही हैं। स्थिति यह है कि शहर की वीवीआइपी सड़क हो या फिर स्टेट और नेशनल हाईवे, सभी जगह लगी ट्रैफिक लाइट पुरानी हो चुकी हैं। बिजली गुल होने पर ये लाइटें बंद हो जाती हैं। इसके बाद पुलिस को मैनुअली ट्रैफिक का संचालन करना पड़ता है। जबकि कभी रेड लाइट तो कभी ग्रीन लाइट का बल्ब फ्यूज हो जाता है। यही नहीं, चौराहों के बीच बनाए गए पुलिस बूथ शिमला बाईपास, निरंजनपुर मंडी, लालपुल, प्रिंस चौक आदि जगह ट्रैफिक लाइट को अपने पीछे छिपा देते हैं। इससे चौराहों पर अक्सर दुर्घटनाओं की संभावनाएं बनी रहती हैं। इस दिशा में ट्रैफिक पुलिस, नगर निगम, एमडीडीए, जिला प्रशासन की कार्रवाई खानापूर्ति तक सीमित नजर आती है। पटेलनगर लालपुल को छह सड़कें जोड़ती हैं। यहां सहारनपुर रोड चार लेन और श्री महंत इंदिरेश अस्पताल की दो लेन की सड़क शामिल है। मगर, बीच में बनाए गए पुलिस बूथ से इंदिरेश अस्पताल से जाने वाले वाहनों को ट्रैफिक लाइट दिखाई नहीं देती है। यही हाल सहारनपुर चौक और निरंजनपुर मंडी की तरफ भी है। लाइट खराब होने या बंद होने पर यहां छह सड़कों का ट्रैफिक को मैनुअली चलाना मुश्किल है। इससे चौराहे पर तेज रफ्तार वाहन अक्सर दुर्घटना के कारण बनते हैं। यह रोड दिन-रात व्यस्त रहती है। इसके बावजूद सुरक्षा को लेकर पुख्ता इंतजाम नहीं किए जा रहे हैं। हरिद्वार हाईवे पर स्थित कारगी चौक की लाइट पूरी तरह भगवान भरोसे रहती हैं। यहां चौराहे को आठ सड़कें आपस में जोड़ती हैं। इसमें रिस्पना और आइएसबीटी से आने-जाने वाली रोड के बीच बंजारावाला और इंदिरेश अस्पताल से आने वाली रोड गुजरती हैं। मगर, चौराहे पर ग्रीन और रेड लाइटें कभी-कभार जलती हैं। इससे चौराहे को पार करते वक्त पल-पल खतरे के साये में गुजरना पड़ता है। घंटाघर और बुद्धा चौक पर पांच ट्रैफिक लाइट लगाई गई हैं। लेकिन इनमें से एक लाइट भी काम नहीं कर रही है। बुद्धा चौक पर आठ सड़कें आपस में जुड़ती हैं। किंतु यहां वाहनों की आवाजाही बेतरतीब तरीके से होती है। स्थिति यह है कि यहां चौक से पहले ट्रैफिक लाइट और जेब्रा क्रासिंग जरूरी है। मगर, यहां भी ट्रैफिक का संचालन बेतरतीब तरीके से होता है। इससे शहर के इस क्षेत्र में सुबह से शाम तक जाम लगा रहता है। खासकर घंटाघर में सात सड़कें चौराहे को जोड़ती हैं, लेकिन यहां ट्रैफिक लाइट बंद होने से सभी सड़कें जाम रहती हैं। जबकि यहां राजपुर रोड और चकराता रोड की तरफ रेड लाइट लगाकर वाहनों का सुचारू संचालन हो सकता है। शिमला बाइपास, सेंट ज्यूड चौक, यमुना कॉलोनी, ओरिएंट चौक, आराघर चौक, सीएमआइ, बल्लीवाला, बुद्धा चौक आदि कई जगह ट्रैफिक लाइट तो लगाई गई, लेकिन इनका संचालन आज तक नहीं हुआ।
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