
देहरादून (संवाददाता)। झारखंड और उत्तराखंड में इंसानों पर हाथियों के हमले तेजी से बढ़ रहे हैं। हाथियों ने बीते एक साल में दोनों राज्यों में 119 (झारखंड-89 और उत्तराखंड-30) लोगों की जान ले ली। बीते जून माह में सिर्फ 20 दिन के भीतर झारखंड के तीन जिलों में नौ लोगों को मार डाला। इसके अलावा दोनों राज्यों में बड़े पैमाने पर फसलें नष्ट करने और मकानों को क्षतिग्रस्त करने की घटनाएं भी लगातार बढ़ रही हैं।
हाथी भोजन, पानी और प्रजनन के लिए खास तरह के मार्ग से आवागमन करते हैं। हाल के कुछ सालों में हाथियों के कई बड़े और प्राकृतिक कॉरिडोर बंद हो गए हैं अथवा उनपर निर्माण आदि होने लगे हैं। रास्ते में रुकावट, भोजन और पीने के पानी की कमी आदि के कारण वे आबादी क्षेत्र में घुस रहे हैं। एक अन्य प्रमुख वजह जंगलों को लगातार कटान और उनकी सघनता कम होना भी है। जून में झुंड से बिछड़े जंगली हाथी ने तीन जिलों गोड्डा, दुमका और जामताड़ा में 9 लोगों को मौत के घाट उतार दिया। अध्ययन में यह बात सामने आई कि केवल दो मामले में हाथी ने पहले हमला किया, जबकि सात मामलों में रास्ता रोके जाने, हाथी के साथ सेल्फी लेने और उसे उकसाने से आक्रमक होकर हाथी ने लोगों को कुचल डाला।
और हिंसक हो सकते हैं हाथी-झारखंड के वन्यजीव विशेषज्ञ एजी अंसारी कहते हैं कि हाथी और हिंसक हो सकते हैं। इसकी बड़ी वजह जंगलों में बढ़ती पर्यटन गतिविधियां होंगी। इसके अलावा सूखते जलस्रोत और हाथी कारिडोर में हो रहे निर्माण भी मुसीबत का सबब हैं। अध्ययन कर हाथियों के हमलों को नियंत्रित नहीं किया गया तो गंभीर परिणाम होंगे
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