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उत्तराखंड शासन के कार्यक्रम क्रियान्वयन एवं संस्कृत शिक्षा विभाग के सचिव दीपक कुमार गैरोला पहुंचे परमार्थ निकेतन, राज्य सरकार की योजनाओं पर लिखी पुस्तक ‘मेरी योजना’ स्वामी चिदानन्द सरस्वती को की भेंट

 

ऋषिकेश, 2 मार्च
दिनेश सिंह सुरियाल

उत्तराखंड शासन के कार्यक्रम क्रियान्वयन एवं संस्कृत शिक्षा विभाग के सचिव दीपक कुमार गैरोला का परमार्थ निकेतन में आगमन हुआ। श्री गैरोला ने परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती से भेंट कर संस्कृत भाषा की शुद्धता, शुद्ध रूप से मंत्रों के उच्चारण के लिए साहित्य उपलब्ध कराने के लिए निवेदन किया।
स्वामी चिदानन्द सरस्वती और श्री गैरोला ने संस्कृत विद्यालय, संस्कृत शिक्षा, संस्कृत शिक्षा की गुणवत्ता, जागेश्वर धाम में संस्कृत विद्यालय खोलने तथा संस्कृत व संस्कृति के संरक्षण के लिए विशेष चर्चा की।
स्वामी चिदानन्द सरस्वत ने कहा कि भारत ही नहीं बल्कि अप्रवासी भारतीयों में भी मंत्रों के उच्चारण की जिज्ञासा है। जो भारत भूमि से दूर हैं, वह वेद, उपनिषद व कर्मकांड के मंत्रों को पढ़ें कैसे, मंत्रों को बोलें कैसे, इस हेतु जरूरी है कि वेद विद्यालय बने। हमारे पास ऐसे पुरोहित हों जो मंत्रों को शुद्धता के साथ उच्चारण करें क्योंकि मंत्र का प्रभाव और प्रभुभाव दोनों जरूरी हैं। स्वामी ने कहा कि संस्कृत में मंत्रों का शुद्धता के साथ उच्चारण नहीं होगा तो संस्कृत नहीं बचेगी, संस्कृत नहीं बचेगी तो संस्कृति भी नहीं बचेगी, इसलिए जरूरी है कि संस्कृत विद्यालयों में भाषा भी बचे और भाव भी बचे; मंत्रों का उच्चारण भी हो और उच्च आचरण भी हो। हमारे विद्यार्थियों की बुद्धि भी बढ़े और शुद्धि भी बढ़े, तभी जीवन की सिद्धि होगी। अब केवल लोभ व लाभ की दृष्टि से नहीं बल्कि जीवन शुद्ध बने, जीवन बुद्ध बने, जीवन सिद्ध बने, जीवन शुभ बने और जीवन प्रबुद्ध बने, इस दृष्टि से संस्कृत विद्यालयों की शिक्षा को आगे बढ़ाना होगा। स्वामी ने बताया कि जागेश्वर धाम में परमार्थ निकेतन द्वारा अंतर्राष्ट्रीय योग महोत्सव किया गया था, जिसमें हम 44 देशों के योग जिज्ञासु वहां लेकर गए थे। इस कार्य को आगे बढ़ाने के लिए क्षभी चर्चा हुई। वर्ष 2027 में कुम्भ आ रहा है, तो ऐसे समय में हमारी यात्रा कुमाऊं से कुम्भ की यात्रा हो। परमार्थ निकेतन में जिस प्रकार केंद्र सरकार के साथ मिलकर गंगा आरती की ट्रेनिंग दी जा रही है, उसी तर्ज पर संस्कृत के मंत्रों के शुद्ध उच्चारण का भी प्रशिक्षण दिया जा सकता है। इस पर भी सचिव के साथ स्वामी ने चर्चा की।
स्वामी ने कहा कि कर्मकांड व वेद मंत्रों के उच्चारण में मंत्रों का शुद्ध होना अत्यंत आवश्यक है और इस कार्य के लिए परमार्थ निकेतन सदैव तैयार है। इस के लिए ट्रेनिंग देना, मंत्रों की बुकलेट के लिए शुद्ध मंत्रों का उपलब्ध कराने हेतु परमार्थ निकेतन पूर्ण रूप से राज्य सरकार के साथ कार्य करने के लिए सदैव तैयार है। स्वामी ने उत्तराखंड सरकार की प्रशंसा की कि उत्तराखंड राज्य में संस्कृत भाषा को राज्य भाषा का दर्जा देने के लिए जो प्रयास किए जा रहे हैं, वह अद्भुत हैं, परंतु इस के लिए मिलकर आगे और कार्य करना होगा। स्वामी ने उत्तराखंड शासन के कार्यक्रम क्रियान्वयन एवं संस्कृत शिक्षा विभाग के सचिव, दीपक कुमार गैरोला को हिमालय की हरित भेंट रूद्राक्ष का पौधा भेंट कर उनका अभिनंदन किया।

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