Breaking News
sarkar 667

त्रिवेन्द्र सरकार का कोरोना कवच तैयार

sarkar 667

देहरादून (नेशनल वार्ता न्यूज़) पक्ष-विपक्ष, आम और खास, सरकार, असरदार, चिकित्सा विभाग समेत पुलिस का पूरा अमला, कवच बनकर तैयार है कोरोना से जंग जीतने के लिए। सरकार का शक्ति-मंत्र है सजगता और सामर्थ्य। स्वास्थ्य विभाग जहाँ मुस्तैदी से संक्रमित लोगों को अलग-थलग कर इनके इलाज में जुट गया है वहीं पुलिस का अमला संक्रमण की चेन को तोड़ने के लिए प्रदेश भर में लॉकडाउन को असरदार करने में मुस्तैद है। सजगता के नाते सरकार अपनी ओर से कोई कोर-कसर नहीं छोड़ना चाहती जबकि सजगता को कारगर बनाने के लिए सरकार जागृति पर भी ध्यान दे रही है। इसके अलावा सामर्थ्य को धार देने के लिए सरकार ढाँचागत व्यवस्था (इन्फ्रास्ट्रक्चर) का विस्तार करते हुए लोगों को कम से कम तकलीफ हो-इस बात को जमीन पर उतारने की कोशिशों में भी जुट रही है। उत्तराखण्ड की करीब 101.17 lakh की आबादी त्रेपन हजार चार सौ तेरासी वर्ग किलोमीमटर के क्षेत्र में फैली है जो देहरादून समेत तेरह जनपदों में रहती है। चीन और नेपाल से इस प्रदेश की सीमाएं साझा हैं। देश के अन्दर की बात करें तो इस प्रदेश की सीमाएं दिल्ली, उत्तर-प्रदेश और हिमाचल प्रदेश से मिलती हैं। इसीलिए सरकार नेपाल सीमा पर चौकसी बढ़ा रही हैं गाजियाबाद और नोयडा के इलाके जिस तर उत्तर-प्रदेश के लिए चिन्ता का कारण हैं ठीक उसी तरह उत्तराखण्ड की सरकार को जनपद हरिद्वार की तरह पूरे जनपद देहरादून पर पूरी ताकत झोंकनी पड़ेगी। ठीक इसी तरह जनपद ऊधमसिंह नगर और हल्द्वानी जैसे इलाकों में भी जितनी ज्यादा मुस्तैदी रहे वह भी कम है क्योंकि इनके साथ-साथ कोटद्वार की बेल्ट भी पहाड़ों के लिए सीमाद्वार की तरह है। संक्रमण की कमर तोड़ने के लिए ऐसे स्थलों पर नाकेबन्दी बहुत कड़ी करनी पड़ेगी। थोड़ी सी ढील खतरनाक साबित हो सकती है। केन्द्र सरकार ने तीन हफ्ते की बन्दी घोषित करके यही जताने की कोशिश की है। राज्य सरकार भी केन्द्र के साथ कन्धा से कन्धा मिलाकर चल रही है। किन्तु अधिकतर जनपदों में कोेरोना जैसे खतरनाक वायरस से जूझने को लिए न तो प्रशिक्षित स्वास्थ्य कर्मी हैं और न ही इन स्वास्थ्य कर्मियों की खुद की सुरक्षा के लिए पर्सनल प्रोटेक्टिव इक्विपमेंट यानी व्यक्तिगत सुरक्षा उपक्रम की किट ही उपलब्ध हैं। हल्द्वानी नगर समेत करीब-करीब सभी दूर-दराज के सरकारी अस्पतालों में इस किट की मूलभूत जरूरत उपलब्ध नहीं है। क्योंकि संक्रमित मरीज के इलाज के दौरान डॉक्टरों और अन्य स्वास्थ्य कर्मियों को इनकी ज़रूरत पड़ती है। क्वारंटीन वार्ड में आने-जाने के लिये सुरक्षा उपक्रमों का न होना चिंता का विषय है। यहाँ तक कि सुरक्षित मास्क की कमी की रिपोर्ट भी चिंता में डालने वाली हैं। जगह-जगह सैनिटाइजर और वेंटीलेटर की कमी के कुछ मामले भी प्रकाश में आ रहे हैं। इस बात का अभी तक पूरी तरह स्पष्ट न हो पाना भी खल रहा है क्या देश में इन मशीनों और उपक्रमों की पर्याप्त उपलब्धता है। क्या ये चीजें देश में सीमित समय के अन्दर उत्पादित हो सकती हैं? यह भी खुलकर सामने नहीं आ सका है। राज्य में तेरह जनपद हैं ओर तेरह चीफ मेडिकल आफीसर्स (CMO’S) तैनात हैं जो तमाम हालातों पर नजर रखे हुए हैं इन सभी सीएमओ के कन्ट्रोल रूम के दूरभाष सम्पर्क भी मीडिया में बार-बार जारी किए जा रहे हैं। श्रीनगर, अल्मोड़ा, देहरादून और हल्द्वानी में स्थित मेडिकल कॉलेज को कोरोना के उपचार के लिए प्रयोग करने की घोषणा की जा चुकी है। जबकि इन अस्पतालों की ओपीडी को अन्य अस्पतालों में शिफ्ट करने की योजना पर काम चल रहा है। हल्द्वानी और श्रीनगर मेडिकल कॉलेजों को हिदायत दे दी गई है कि वे तीन माह के लिए योग्य डॉक्टरों की भर्ती कर अपनी क्षमता बढ़ा सकते हैं। हालाँकि हल्द्वानी में कोविड-19 के लिए परीक्षण केन्द्र चालू है किन्तु किसी भी स्थिति से निपटने के लिए देहरादून स्थित आई आई पी और ऋषिकेश स्थित एम्स को भी जाँच के लिए अधिकृत किया गया है। जनता से बार-बार अपील की जा रही हैं कि वे खाँसी, जुकाम, बुखार, गले में खराश और साँस लेने में तकलीफ जैसे हालातों में घर पर बने रहकर अपने जनपद के सी एम ओ कन्ट्रोल रूम के नम्बर पर सम्पर्क करें ताकि समय रहते ज़रूरी कदम उठाए जा सकें। कोरोना के खिलाफ चल रही जंग में पुलिस तीन हफ्ते के लॉकडाउन को कामयाब बनाने में जुटी हुई है। लॉकडाउन का उल्लंघन करने वालों पर पुलिस सख्ती कर रही है जिसके चलते गिरफ्तारियाँ भी हो रही हैं। डीजी, लॉ एंड ऑर्डर अशोक कुमार ने संक्रमण से बचाव के लिए हर संभव कदम उठाने की घोषणा की है। छह हजार पुलिस कर्मियों के साथ-साथ पीएसी की बीस कम्पनियाँ तैनात कर दी गई हैं। किसी भी चूक से बचने के लिए प्रदेश को 1.02 जोन और 500 सैक्टरों में बाँट दिया गया है। पुलिस की इसी कारगर रणनीति का सड़कों पर खासा असर भी दिखाई दे रहा है। किन्तु समाज के तमाम हलकों से पुलिस द्वारा बेवजह परेशान किए जाने की खबरें भी आ रही हैं जिन पर सरकार ध्यान देने का आश्वासन दे रही है। गौरतलब है कि राज्य सरकार ने किसी तरह की लापरवाही से जुड़ी आषंकाओं को खारिज करने के लिए अभी तक कुल सत्रह आईएएस, आईपीएस और पीसीएस अधिकारियों को अतिरिक्त जिम्मेदारियाँ सौंपी हैं। जिसके तहत इन्हें कोरोनो वायरस संक्रमण के खिलाफ अस्पतालों में प्रशासनिक व्यवस्था को सुचारु बनाए रखना है। यही नहीं बल्कि इन अस्पतालों की तमाम ज़रूरतों को ध्याान में रखते हुए इलाज की गुणवत्ता पर भी इन्हें निगरानी रखनी है। एएसए मुरुगेशन और रिदिम अग्रवाल को प्रदेश के सभी अस्पतालों में ज़रूरी वस्तुओं की आपूर्ति, शैलेश बगोली और रणवीर सिंह चौहान को स्वास्थ्य विभाग में एंबुलेंस व अन्य परिवहन व्यवस्थाएं, दिलीप जावलकर, सोनिका और दीप्ति सिंह को कारंटाइन और आइसोलेशन की तमाम व्वस्थाएं, चंद्रेश कुमार यादव और जन्मेजय खंडूड़ी को कंट्रोल रूम में ट्रैकिंग, केवल खुराना को दून अस्पताल में प्रशासनिक कार्य और आवश्यक सामग्री की आपूर्ति, नीरू गर्ग को एम्स ऋषिकेश सहित एस पी एस चिकित्सालय ऋषिकेश और मेला चिकित्सालय हरिद्वार, बंशीधर तिवारी को सुशीला तिवारी चिकित्सालय हल्द्वानी, इकबाल अहमद को देहरादून स्थित महात्मा गाँधी चिकित्सालय और पंडित दीन दयाल चिकित्सालय, हिमांशु खुराना को श्रीनगर मेडिकल कॉलेज, मनुज गोयल को अल्मोड़ा मेडिकल कॉलेज, आलोक पांडेय को प्रवासियों की समस्याओं के समाधान जबकि आनंद श्रीवास्तव को प्री-फैब्रिक अस्पतालों के निर्माण की अहम् एवं समयबद्ध दायित्व दिया गया है। राज्य में कुल 239 प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र, 12 जिला अस्पताल, 06 महिला अस्पताल, 03 बेस अस्पताल, 15 कम्बाइन्ड अस्पताल, 55 सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र, 1765 उप स्वास्थ्य केन्द्र, 13 टी बी क्लीनिक, 543 आयुर्वेदिक अस्पताल, 107 होम्योपैथिक क्लीनिक, 03 यूनानी क्लीनिक, और 23 ब्लड-बैंक हैं। इन आँकड़ों से हम वस्तुस्थिति का सही-सही जायजा ले सकते हैं। किसी आपातकालीन आशंका से निपटने के लिए तथा इस ढाँचे का इस्तेमाल करने के लिए हम सीमित समय में कितनी क्षमता खड़ी कर सकते हैं। दूर-दराज के क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवाओं की स्थिति बहुत नाजुक है। राज्य के खास-खास शहरों में भी तमाम खामियाँ समय-समय पर प्रकाष में आती रही हैं। दीगर है कि राज्य सरकार को साफगोई के साथ न केवल मौजूदा विपदा से दो-दो हाथ करने के लिए रात-दिन एक करना होगा बल्कि पूरी ईमानदारी के साथ पूरे राज्य के सरकारी स्वास्थ्य के ढाँचे की समीक्षा कर राज्य को भविष्य के लिए भी तैयार करना होगा। ताकि, किसी भी कोरोना जैसी आपदा से असरदार लड़ाई लड़कर राज्य के लोगों की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके। उत्तराखण्ड आपातकाल की इस घड़ी में देश के लिए एक उदारहण बन सकता है।

– सावित्री पुत्र वीर झुग्गीवाला, देहरादून

Mob-9557788256

Check Also

Monumentos incomuns e edifícios antigos

Nosso estado, como todos os países do planeta, é único em seus monumentos e estruturas …

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *