सावित्री पुत्र वीर झुग्गीवाला द्वारा रचित-
Virendra Dev Gaur Chief Editor (NWN)
आजा़दी दिलाने का
भरती है घड़ी-घड़ी
सबसे पुरानी पार्टी दम
अरे बापू विरोधी पार्टी
जात-पात मज़हब क्षेत्रवाद का
जाप करती रही हे तू हर-दम।
तू क्या समझती है
तू फैलाती रहेगी
चारों तरफ देश में भरम
नापाक रहे हैं शुरू से ही
तेरे सारे करम।
कहा था तुझसे
1947 के तुरन्त बाद
संत बापू ने कांग्रेस
बदल दे अपना नाम
सुधार अपने करम
अपना ले अच्छी राजनीति के लिए धरम
पर वोट के लिए तू बन गई बेरहम।
लोगों में इतिहास की नासमझी के चलते
लूटती रही है दशकों से तू वोट
पूरा भारत था आज़ादी की लड़ाई में शामिल
कह रहा मैं डंके की चोट
कहते हैं जो कांग्रेस ने दिलाई आज़ादी
उनकी नजर में है बड़ा खोट
वे देख पाते हैं स्वतंत्रता-संग्राम की आधी तस्वीर लेकर नासमझी की ओट।
कांग्रेसी ठाकोर नेताओ गुजरात के
बापू की आत्मा को कितनी बार रुलाओगे
जात-पात और क्षेत्रवाद की भांग खाके
गुजरात विधान सभा चुनाव में करीब एक साल पहले
जात-पात का ज़हर बांटा था तुमने घर-घर जाके
अरे राहुल बाबा तो टूरिस्ट हैं भारत में
उनका दिल नहीं दुखेगा भारत की बर्बादी पर
तुम्हारे-हमारे लिए तो भाई पूरा भारत है घर।
सुधर जाओ
गुजरात को कश्मीर मत बनाओ
ज़िहादी मुसलमानों की मत करो नकल
जान से प्यारे देश भारत की मत बिगाड़ो शकल
क्या बेच खाई है तुम कांग्रेसियों ने अपनी अकल।
-इति