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नमामि गंगे नमामि ‘‘आयुष-जन’’ नमामि कुम्भ

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सावित्री पुत्र वीर झुग्गीवाला द्वारा रचित- 
Virendra Dev Gaur Chief Editor (NWN)

नमामि गंगे नमामि ‘‘आयुष-जन’’ नमामि कुम्भ
             पार्ट-1
    (सफाईगीरी)
गाँव-गाँव में गली-गली
डगर-डगर हर नगर-नगर
हवा स्वच्छता की है चली
लहर-लहर गंगा में उठी
आशीष हमें देने निकली
बात कोई इससे न भली
‘विजयी-भव’ की निकली स्वर-लहरी
बोली बनो देश के आयुष-प्रहरी
पार्वती-शिव की इच्छा ठहरी
जय-जय ‘आयुष-जन’ महाबली
रहे सदा भारत भूमि हरी-भरी
हरिजन, दिव्यांग और आयुष-जन की तिगड़ी
स्वच्छता-संस्कार परम्परा की खुले खिड़की
आयुष्मान भारत की समझो विजय-यात्रा निकली।
जीवन अपना दाँव लगाने वाले
मैला गंदगी कचरा उठाने वाले
आयुष के हैं ये सच्चे रखवाले
आयुष-जन इनको कहा करें
नमामि आयुष-जन हम जपा करें
यंत्र-युग का आह्वान करें हम
आयुष जन का काम आसान करें हम
इनके कष्टों का अवसान करें हम
प्रगतिशील गंगा सफाई अभियान को और तेज करें हम
आने वाले कुंभ विलक्षण महापर्व पर हम
नमामि गंगे नमामि आयुष-जन और नमामि कुम्भ के जयकारों के संग
चल पड़े ‘‘राम-कृष्ण’’ प्रदेश के प्रयाग-राज सब दिशाओं से ऐसे
पूरी दुनिया सच में रह जाए दंग जैसे।
             पार्ट-2
     (गडकरीगीरी)
मान्यवर मंत्री गडकरी जी की गडकरीगीरी
स्वततंत्र भारत के इतिहास की कड़ी अलबेली
मौलिक प्रयास की बानगी सुरीली
स्पष्टचारिता की मधुर कहानी
कचरा-संसाधन उद्योग की बहुआयामी-वाणी।
आपको अगर जान लिया जाए
आपको अगर मान लिया जाए
भावना अगर आपकी समझी जाए
घर-घर ‘लघु-उद्योग-घर’ बन जाए
कचरे में सोना मिल जाए
खाद बिजली शुचिता-स्वच्छता से कायाकल्प हो जाए
भारत ‘‘पर्यावरण-मित्र-विकास’’ का पर्याय बन जाए।

                                              -इति

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