सावित्री पुत्र वीर झुग्गीवाला द्वारा रचित-
Virendra Dev Gaur Chief Editor (NWN)
राम लला हम आएंगे
मन्दिर वहीं बनाएंगे
हनुमान बन आएंगे
राम-राम हम गाएंगे
झूठ-फरेब की सुनहरी
लंका को जलाएंगे
पाँच सौ वर्षों की यातना से
मुक्ति हम दिलाएंगे
दंभी रावण के गुरूर को
धूल में मिलाएंगे
बहुत हुआ समझना-समझाना
अनुनय-विनय और मनाना
चरण आपके हमारा ठिकाना
हर रुकावट को ढहाएंगे
सर अपने कटाएंगे
खून की नदियाँ बहाएंगे
आपका खोया गौरव वापस लाएंगे
मन्दिर वहीं बनाएंगे।
राम लला हम आएंगे
बाबर के अंश मिटाएंगे
पावन धरती के दागों को
खून से अपने धो डालेंगे
पराधीनता की हवाओं में
स्वाधीनता की बयार चलाएंगे
श्री राम के जयकारों से
गगन को भी दहला देंगे
सरयू के पावन जल से अयोध्या को नहला देंगे
डरपोक कौम कहलाने के जालिम जख्मों पर
संजीवनी बूटी लगाएंगे
बाबर के जुल्मों से
भारत माता को निजात दिलाएंगे
मन्दिर वहीं बनाएंगे
तिथि भी बताएंगे
राम लला हम आएंगे
पूरी दुनिया को श्री राम के सपूतों की इच्छाशक्ति का अहसास कराएंगे।
-इति