नई दिल्ली । उत्तराखंड चार धाम देवस्थानम प्रबंधन अधिनियम, 2019 की संवैधानिकता वैधता को अब दो गैर सरकारी संगठनों ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है। इससे पहले उत्तराखंड हाईकोर्ट ने इस अधिनियम को चुनौती देने वाली भाजपा नेता डॉक्टर सुब्रमण्यम स्वामी की जनहित याचिका को खारिज कर दिया है।
इंडिक कलेक्टिव ट्रस्ट और पीपुल फॉर धर्मा ने सुप्रीम कोर्ट में विशेष अनुमति याचिका दायर कर 21 जुलाई के उत्तराखंड हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती दी है। याचिकाओं में कहा गया है कि हाईकोर्ट ने इस मामले में प्रभावित पक्ष और श्रद्धालुओं को संविधान के अनुच्छेद-26 के तहत मिले अधिकार को नजरअंदाज कर दिया। दरअसल, इस अधिनियम के द्वारा चार धाम के मंदिरों के प्रबंधन का काम एक बोर्ड को सौंप दिया गया है जिसके सदस्यों को राज्य सरकार नामित करती है। बद्रीनाथ और केदारनाथ के मंदिरों का प्रबंधन और गंगोत्री व यमुनोत्री धाम भी इसके अधीन आ गए हैं। सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका में कहा गया है कि इन चारों तीर्थ स्थलों के प्रति लोगों की आस्था और विश्वास है। इन तीर्थ स्थलों व मंदिरों का अपना पारंपरिक प्रबंधन सिस्टम है। ऐसे में इनके प्रबंधन में किसी तरह की दखलंदाजी सही नहीं है। इसका असर करोड़ों श्रद्धालुओं की भावना पर पड़ेगा।
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