नई दिल्ली (संवाददाता) । सेना को लंबे समय से आधुनिक हथियारों की जरूरत है। विलंब के बाद ही सही आखिरकार सरकार ने भारत-चीन और भारत-पाक बॉर्डर पर तैनात जवानों के लिए नई तरह की राइफल्स, लाइट मशीन गन और क्लोजचर्टर बैटल कार्बाइन्स उपलब्ध कराने का काम तेजी से शुरू कर दिया है। सरकार यह काम फास्ट ट्रैक प्रोसीजर (एफटीपी) के तहत करेगी। रक्षा मंत्रालय के सूत्रों ने बताया कि शुक्रवार को ही चयनित विदेश कंपनियों को 72,400 असॉल्ट राइफल्स, 16,479 एलएमजी और 93,895 सीक्यूबी कार्बाइन्स के लिए शुरुआती टेंडर दे दिया गया है। इसकी लागत करीब 5,366 करोड़ रुपये आएगी। 10 दिन के भीतर दिए गए कॉन्ट्रैक्ट का पक्का किया जाना है। उम्मीद की जा रही है कि एक साल के भीतर ही ये हथियार देश को सौंप दिए जाएंगे। 2005 में ही सेना ने सीक्यूबी कार्बाइन्स की मांग 382 बटालियन के लिए की थी। इनमें प्रत्येक में 850 सैनिक हैं। 2009 में ही लाइट मशीन गन का मामला शुरू हुआ था। लेकिन कुछ अजीब तकनीकी पैरामीटर्स की वजह से यह प्रॉजेक्ट कामयाब नहीं हो सका। एफटीपी का रास्ते ही सेना के लिए आवश्यक हथियारों को मुहैया कराया जा सकता है। वर्तमान 5.56 एमएम आईएनएसएएस की जगह लेने के लिए 8.16 लाख नए 7.62&51 एमएम कैलिबर असॉल्ट राइफल्स की जरूरत है। इसी तरह सेना को 4.58 चर्टर बैटल कार्बाइन्स और 43,544 लाइट मशीन गन्स की जरूरत है। इनमें से ज्यादातर हथियारों की जरूरत थलसेना को है जबकि कुछ नौसेना और एयरफोर्स को भी दिए जाने हैं।
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