बलोच खान से बात
भाई बलोच खान
अगर आपकी मानसिकता जिहादी नहीं
तो सब कुछ है सही।
जिहादी मानसिकता है पन्द्रह सौ साल पुरानी
इतिहास के पन्नों में बिखरी पड़ी है इसकी कहानी
लेकिन अभी तक गई नहीं इसकी जवानी
मुझे होती है इसीलिए हैरानी
फिर बढ़ती है मेरी परेशानी
क्योंकि बलोच खान जी मेरे भारत के लोग
जिहाद भोगते-भोगते हो गए हैं इतने बेज़ार
कि वे जिहाद को समझने तक को नहीं है तैयार
मेरे देशवासी इतिहास में रहे हैं हमेशा कमजोर
इसीलिए ऐतिहासिक गलतियाँ करते रहे हैं घनघोर।
बलोच खान जी पन्द्रह सौ साल पहले थे तुम भी हिन्दू
कट्टरता का आलम यह है कि सिख तक नहीं मानते यह बात
मारते हैं घूम कर इस बात को लात
हम सबकी एक ही थी जात
हम सब हुआ करते थे आर्य
सुविधा के लिए किया गया था काम का बँटवारा
ठीक वैसे ही जैसे आज एक दफ्तर में होता है काम का बँटवारा
एक दफ्तर में सभी बराबर कदापि नहीं हो सकते
यही था हमारे प्राचीन आर्य समाज का राज
किन्तु बुद्ध और महावीर काल तक आते-आते
खामियों ने किया जन्म लेना शुरू
बुद्ध और महावीर के एकतरफा अहिंसावाद के चलते
भारत का बाहुबल हुआ घटना शुरू
विदेशी लुटेरों ने मौका ताड़कर भारत पर धावा बोलना किया शुरू
यहाँ से जात-पात के भेदभाव होते चले गए कष्टकारी
सातवीं सदी में मुसलिम आक्रांताओ की आई बारी
इसके बाद तो जात-पात का भेदभाव बन गया एक महामारी।
किसी ने डरकर तलवार की धार से
किसी ने चिढ़कर छुआछूत की मार से
किसी ने तिलमिलाकर बहू-बेटियों की आबरू पर वार से
किसी ने घबरा कर जजिया जैसे टैक्सों के भार से
किसी ने बौखलाकर खर्चीले कर्मकांडों की लूटमार से
अपनाया इस्लाम ठुकराया हिन्दू-धर्म और कट गया अपनी जड़ों से।
बन्धु बलोच खान
तुम्हारी साँसे और मेरी साँसे एक थीं कभी
तुम्हारे अन्दर आज भी राम और कृष्ण का शौर्य है
किन्तु मानोगे तुम भी नहीं
गुलाम की आत्मा को गुलाम बनाने की कला में
कट्टर ईसाई भी होते हैं पारंगत
कट्टर मुसलमान भी होते हैं कुशल
हिन्दू कभी नहीं कहता किसी को बन जाओ हिन्दू
इसलिए धरती पर हिन्दू सबसे उदार होता है बन्धू।
खैर! तुम जारी रखो जिहादी-पंजाबीपरस्त हुकूमत के खिलाफ जंग
मैं जिहादी-पंजाबी असर वाले पाकिस्तान को कहता हूँ जिहादिस्तान
इसी जिहादी-इस्लाम ने बना रखा है तुम्हे गुलाम
यही जिहादी-इस्लाम बनाए हुए है सिन्ध को गुलाम
दोस्त बनेगा एक दिन सिन्धुस्तान और आजाद बलूचिस्तान
जैसे ही वापस लेंगे हम मुजफ्फराबाद, गिलगिट और बाल्टिस्तान
तुम्हारे सीनों में उमड़ रहे हैं आज़ादी के तूफान
हिला कर रख देंगे हम मिलकर जमीन और आसमान।
भारत को तो चाहिए केवल अपना जायज हिस्सा
तुम्हारा भी सुलझ जाएगा दोस्त किस्सा
रह जाएगा केवल पंजाब वाला जिहादिस्तान
उम्मीद करता हूँ अधमरा हो जाएगा वह शैतान
जिसे मैं इस्लामी जिहाद कहता रहूँगा
जब तक दोस्त मैं धरती पर जिंदा रहूँगा
तुम रहे अगर जिहाद से आजाद तो तुम्हे सलाम भेजता रहूँगा।
-सावित्री पुत्र वीर झुग्गीवाला, स्वतंत्र पत्रकार, देहरादून।