
B. of Journalism
M.A, English & Hindi
सावित्री पुत्र वीर झुग्गीवाला द्वारा रचित-
Virendra Dev Gaur Chief Editor (NWN)
एक सौ तीस करोड़ पर बाबा वेदांती भारी कृपा करो राम लला त्रिपुरारी
जय-जय बाबा काशीनाथ कॉरीडोर
किन्तु देवपुरी अयोध्या में कब होगी भोर
श्री राम के अनन्य भक्त राम विलास वेदान्ती जी
कर बैठे हैं घोषणा-घनघोर
उनकी भक्ति-भाव में डूबी भावनाओं का शोर
घायल-चोटिल विश्वास की टूटी डोर
जिनके मन में बैठे हैं चोर
वे नाचेंगे अब बन कर मोर
वेदांती जी की वेदना का समझने के लिए ओर-छोर
बर्बर-बाबर का कामयाब षड़यंत्र समझ पाओगे प्यारे रणछोड़।
पूरे पाँच सौ साल होने को आए
राम भक्तों के गहरे घाव भर नहीं पाए
बाबर से लेकर बहादुर शाह जफर तक
हम ढंग से अपनी गर्दन तक सीधी नहीं कर पाए
फिर छाती पर गोरे फिरंगी चढ़ आए
कुटिल खुरापाती शैतानों के साए
तुलसीदास जी रामचरितमानस लिखकर चेताए
स्वाभिमानी महाराणा प्रताप जीते-जी गरजाए
किन्तु हम एकजुट नहीं हो पाए।
आज फिर वही सूरत-ए-बदहाली
सोच-समझ की वही कंगाली
स्वार्थों से भरी इच्छाओं की थाली
दे रहे एक दूसरे को गाली
समझ रहे खुद को देश की बगिया के माली
इतिहास का बर्तन हमारा खाली
टाट तले श्री राम और हम पीट रहे ताली
श्री राम की आरती में चढ़ा रहे
सेकुलरवाद की धारणा जाली
सचमुच हम ठहरे सोच से खोखले और खाली।
महाराज वेदान्ती जी
आपके चरणों पर माथा हमारा
आपकी राष्ट्र-भक्ति पर सोचे जग सारा
आपका नैतिक हठ सदियों की पीड़ा का नारा
पूरा मन्दिर क्षेत्र 1528 वाला
हिन्दू होने के नाते है, भगवन हमारा
सन् 1528 है वेदान्ती जी इस राष्ट्रीय-मसले का आधार सारा।
जय भारत जय बाबा वेदांती जय जवान जय किसान