ज़र्रा था तू कल
आज ऐवरेस्ट है
नन्ही चिड़िया था तू कल
आज बाज़ है
साधु था तू कल
आज साधुवाद है
बैलगाड़ी के पालने में था तू कल
आज स्वदेशी की खुली परवाज़ है
भोजपत्रों पुस्तकों आश्रमों में बन्दी
योग-आयुर्वेद के असीम विज्ञान को तू
जन-जन के मन-मन तक खींच लाया
स्वदेशी की आत्मा को तू कर्मयोग से सींच लाया
स्वामी विवेकानन्द और स्वामी दयानन्द ने तुझ में ही विस्तार पाया
वशिष्ठ विश्वामित्र और दधीचि का युग खुशी के आँसू लाया
हे राम हे कृष्ण आप के तप-तेज शौर्य ने दिल गुदगुदाया
पिता राम निवास यादव
माता गुलाबो देवी
आप दोनों के चरणों के पुण्य प्रताप से हमारी माँ भारती ने यह कोहिनूर पाया।
Virendra Dev Gaur
Chief Editor(NWN)