मुम्बई । कर्ज के भारी बोझ तले दबी कंपनी रिलायंस कम्युनिकेशंस (आरकॉम) के अध्यक्ष अनिल अंबानी ने आज कहा कि उनकी कंपनी पूरी तरह दूरसंचार क्षेत्र से बाहर होकर रिएल एस्टेट पर ध्यान देगी। अंबानी ने यहां 14वीं वार्षिक आम बैठक में कहा कि 2000 के शुरूआती दशक में सस्ते ऑफर लाकर दूरसंचार सेवाओं को लोकतांत्रिक करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाली कंपनी आरकॉम का पहला ध्येय 40,000 करोड़ रुपये से अधिक के कर्ज को निपटाना है। हमने यह निर्णय लिया है कि हम इस क्षेत्र में आगे नहीं बढ़ेंगे और कई अन्य कंपनियों को भी ऐसे फैसले करने पड़े हैं। यह भवितव्य है। रिलायंस रिएल्टी भविष्य में कंपनी के विकास की धुरी होगी। आरकॉम को चीन के बैंकों समेत 38 ऋणदाताओं को 40,000 करोड़ रुपये से अधिक का ऋण चुकाना है। अंबानी ने कहा कि अगले कुछ माह में इसका समाधान होने के प्रति वह आश्वस्त हैं। उन्होंने कहा कि रिलायंस जियो को दूरसंचार ढांचे और फाइबर की बिक्री जैसे अन्य पहल प्रक्रिया में हैं और जल्द ही इनका निपटान होगा। उन्होंने बताया कि कंपनी दूरसंचार मंत्रालय से स्पेक्ट्रम शेयरिंग और ट्रेडिंग की अंतिम अनुमति का इंतजार है। अंबानी ने ऑरकॉम की परिसंपत्ति खरीदने वाले अपने बड़े भाई मुकेश अंबानी का शुक्रिया अदा करते हुये कहा, यह समुचित होगा कि ऑरकॉम और मुझे निर्देश देने वाले और मदद करने के लिये मैं अपने बड़े भाई का शुक्रिया अदा करूं। उन्होंने कहा कि दूरसंचार क्षेत्र की सृजनात्मक तबाही हुई है,जिससे बाजार में चंद कंपनियां बचीं, जो दो कंपनियों की ओर बढ़ रही है और भविष्य में संभवत: एकाधिकार हो। उन्होंने कहा कि बैंकों पर 7.7 लाख करोड़ रुपये से अधिक के रिण का बोझ है और दूरसंचार कंपनियों की वित्तीय परेशानियों के कारण करीब 20 लाख रोजगार का नुकसान हुआ है। अंबानी ने कहा कि रिलायंस रिएल्टी आरकॉम की इकाई है, जो नवी मुम्बई में 133 एकड़ में धीरूभाई अंबानी नॉलेज सिटी(डीएकेसी) का विकास करेगी। उन्होंने बताया कि यह पहले से ही पंजीकृत आईटी और फिनटेक पार्क है। कंपनी के पास 30 लाख वर्ग फुट का बिल्ट अप स्पेस है, जो बहुराष्ट्रीय कंपनियों को लीज पर दिया जायेगा और उन्हें इस साल से ही इससे राजस्व मिलने का अनुमान है।
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