
देहरादून (संवाददाता)। सूबे का नागरिक उड्डयन विभाग चारधाम में हवाई सेवा के संचालन के नाम पर एक के बाद एक नए कारनामे कर रहा है। अधिकारियों के कारनामे हर बार उजागर होने के बावजूद राज्य सरकार खामोश है। विभाग के अधिकारी शासनादेशों की धज्जियां उड़ा रहे हैं। हर बार नए विवाद पैदा हो रहे हैं जिसका प्रतिकूल प्रभाव हवाई सेवा की टेण्डर प्रक्रिया पर पड़ रहा है। लेकिन अभी तक यह तय नहीं हो पाया है कि हवाई सेवा का संचालन कौन कौन सी कम्पनियां करेंगी। इस बार ताजा विवाद मन्दाकिनी वैली (केदारघाटी) में चार नए हेलीपैड बनाने को लेकर है। दरअसल, वर्ष 2016 में राज्य सरकार की ओर से जारी एक शासनादेश में कहा गया कि सुरक्षा की दृष्टि से मन्दाकिनी वैली में एक बार में छह से अधिक हेलीकॉप्टर उड़ान नहीं भर सकेंगे। भविष्य में भी इस वैली में कोई नए हेलीपैड निर्माण की अनुमति नहीं दी जाएगी। इसके बावजूद शासन के अधिकारियों की शह पर कुछ निजी कम्पनियों ने चार हेलीपैड बना लिये। यह खेल इसलिए खेला गया, ताकि चार नए हेलीपैड बनाने वाली चार नई कम्पनियों को टेण्डर प्रक्रिया में शामिल किया जा सके। मन्दाकिनी घाटी में हवाई सेवा के टेण्डर प्रक्रिया में शामिल होने की शर्त यह है कि निजी कम्पनी का यहां अपना हेलीपैड होना चाहिए। इस बार चार नई कम्पनियां टेण्डर प्रक्रिया में शामिल हो सकें, इसलिए अधिकारियों ने उन्हें मन्दाकिनी वैली में हेलीपैड बनाने की अनुमति दे दी, वो भी शासनादेश की धज्जियां उड़ाकर। शासन में बैठा एक पॉवरफुल नौकरशाह सवालों के घेरे में हैं। कहा जा रहा है कि उसकी शह पर ही नागरिक उड्डयन विभाग में सारे खेल हो रहे हैं। मामले के हाईकोर्ट में पहुंचने के बाद इस अफसर को बचाने के प्रयास शुरू हो गए हैं।’