नई टिहरी। गौमुख से निकलने वाली भागीरथी का पानी टिहरी झील में आकर प्रदूषित हो रहा है। जल संस्थान ने टिहरी झील के पानी का सैंपल जांच के लिए देहरादून भेजा था। जांच रिपोर्ट में टिहरी झील के पानी में बैक्टीरिया की पुष्टि हुई है और पानी भी काफी मात्रा में गंदा आया है। हालांकि जल संस्थान का दावा है कि उनके फिल्टर प्लांट में झील का पानी साफ कर नई टिहरी में सप्लाई किया जा रहा है, जो पूरी तरह से शुद्ध है। जल संस्थान ने पिछले महीने टिहरी झील के पानी का सैंपल लेकर देहरादून की बैक्ट्रालॉजिकल लैब में जांच के लिए भेजा था। टिहरी झील से ही नई टिहरी और आस-पास के क्षेत्रों में पानी की सप्लाई की जाती है। डीएम ने भी जल संस्थान को शहर में साफ पानी की आपूर्ति के निर्देश दिए थे, जिसके बाद जल संस्थान ने सैंपल लिए थे। अब जल संस्थान के पास प्रयोगशाला की रिपोर्ट आई है। रिपोर्ट के मुताबिक झील में चार कॉलोनी प्रति 100 एमएल के हिसाब से बैक्टीरिया पाए गए हैं। जबकि मानकों के तहत पानी में बैक्टीरिया शून्य होना चाहिए। इसी तरह झील के पानी में 11.31 एनटीयू गंदलापन आया है। गंदलापन मतलब पानी साफ नहीं है। मानकों के तहत पानी में पांच एनटीयू से कम गंदलापन होना चाहिए। हालांकि जल संस्थान का कहना है कि झील का पानी रुका है और वहां पर पर्यटन गतिविधियां भी हो रही हैं। ऐसे में पानी में बैक्टीरिया आए हैं। लेकिन भैंतोगी भागीरथीपुरम में बने जल संस्थान के फिल्टर प्लांट से साफ पानी की सप्लाई नई टिहरी में की जा रही है। नई टिहरी में जो पानी की रिपोर्ट आई है, वह साफ है उसमें बैक्टिरिया नहीं है। हमारे फिल्टर प्लांट में दवा के प्रयोग से पानी को साफ किया जा रहा है। इसी तरह डाइजर के प्राकृतिक स्त्रोत के पानी की रिपोर्ट भी सही आई है। जल संस्थान के अधिशासी अभियंता सतीश नौटियाल ने कहा कि झील के रुके पानी में कुछ बैक्टीरिया मिले हैं, जो बेहद कम है। हमारे फिल्टर प्लांट का पानी शुद्ध आया है और डाइजर स्त्रोत का पानी भी जांच में साफ आया है। हम नगरवासियों को साफ पानी देने के लिए पूरा प्रयास कर रहे हैं। टिहरी झील की सफाई की भी ठोस व्यवस्था होनी चाहिए।