Breaking News
1 50

बच्चों को तेजी से अपनी गिरफ्त में ले रहा है अस्थमा

1 50

भारत में लगभग 70 करोड़ लोग कोयला या केरोसिन स्टोव व अन्य घरेलू स्रोतों से निकलने वाले धुएं में सांस लेते हैं। यह धुआं कार्बन कणों, कार्बन मोनोऑक्साइड, नाइट्रस ऑक्साइड, सल्फर ऑक्साइड, फॉर्मल-डी-हाइड और कैंसर कारक पदार्थ जैसे बेंजीन से भरपूर होता है। एक अध्ययन के अनुसार यह धुआं देश में अस्थमा का एक प्रमुख कारण है और यह बच्चों को तेजी से अपनी गिरफ्त में ले रहा है।
बच्चों में होता है अधिक प्रसार
विश्व स्वास्थ्य संगठन ङ्ख॥ह्र का अनुमान है कि भारत में डेढ़ से 2 करोड़ लोगों को दमा की शिकायत है और यह संख्या कम होने के कोई संकेत नजर नहीं आ रहे। अध्ययनों से यह भी संकेत मिलता है कि बच्चों में अस्थमा का प्रसार अधिक होता है, क्योंकि उनकी सांस की नली छोटी होती है जो प्रदूषकों के कारण संकुचित होती जाती है। ढ्ढरू्र के अध्यक्ष डॉ. के. के. अग्रवाल ने कहा, अस्थमा एक पुराना श्वसन रोग है। यह ब्रॉन्कियल पैसेज के कम होते जाने का परिणाम है, जो फेफड़ों में ऑक्सिजन ले जाने के लिए जिम्मेदार होता है। अस्थमा के दो कारण हो सकते हैं- वायुमार्ग में बलगम एकत्र होने के कारण फेफड़े में सूजन और वायुमार्ग के चारों ओर की मांसपेशियों के तंग होने के कारण सूजन।
अलग-अलग तरह का होता है अस्थमा
डॉ. अग्रवाल ने कहा, अस्थमा अक्सर खांसी के रूप में शुरू होता है। इस कारण इसे गंभीरता से नहीं लिया जाता है। अक्सर कफ सिरप लेकर इसका इलाज करने की कोशिश की जाती है। बच्चों में इसकी पहचान करना मुश्किल होता है, क्योंकि उनमें श्वसन, घरघराहट, खांसी और छाती की जकडऩ आदि लक्षण एकदम से नहीं दिखते। इसके अलावा, प्रत्येक बच्चे का अस्थमा अलग तरह का होता है। कुछ ऐसे ट्रिगर भी होते हैं जो अस्थमा के दौरे को बदतर बना सकते हैं। एक बार यदि बच्चे को अस्थमा होने का पता लग जाता है, तो घर से उसके कारणों या ट्रिगर्स को हटाने की जरूरत होती है या फिर बच्चे को इनसे दूर रखने की। 

Check Also

मुख्यमंत्री धामी ने वित्त मंत्री सीतारमण से भेंट कर उत्तराखंड राज्य से संबंधित विषयों पर की चर्चा

देहरादून (सूचना विभाग) ।  मुख्यमंत्री  पुष्कर सिंह धामी ने नई दिल्ली में केंद्रीय वित्त मंत्री …

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *