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पुलिस हमारी,सरकार हमारी, फिल्म-इंडस्ट्री हमारी, मति मारी गई तुम्हारी

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हमारे सुशांत को क्यों मारा?
(सुशांत के मृत शरीर का सामान्य अवस्था में पलंग पर पाया जाना षड़यंत्र है)

कोरोना बंदी का उठाया पूरा लाभ
फिल्मी-माफिया ने बन कर साँप
डस लिया सुशांत सिंह राजपूत को
सँपेरी बनाकर रिया चक्रवर्ती को
इसीलिए एक-एक कर पहले दिन से ही
सबूतों को करते जा रहे हो खाक
अरे गिरोह-बंद फिल्मकारो
अर्नब गोस्वामी की पत्रकारिता को मत धिक्कारो
अपने गिरेबान की गंदगी में झाँको
अपनी सिद्धान्तहीनता को ताको
धन के लिए ज़मीर को बेचने वालो
फिल्म-इंडस्ट्री को अय्याशी का अड्डा बनाने वालो
पर्दे के पीछे तुम क्या-क्या करते हो
काले धन वालों की तुम पूजा करते हो
अर्नब तो है पत्रकारिता का नया औज़ार
तुम जैसों को कर देगा तार-तार
मुझे तो लगता है वह है अवतार।
सुनो गिरोह-बंद फिल्मकारो
अगर हो तुम लोग पाक-साफ
तो क्यों इतना तिलमिला रहे हो
अनुजा कपूर और शुभ्रास्था के तर्कों से क्यों इतना घबरा रहे हो
पत्रकार प्रदीप भंडारी पर क्यों उबाल खा रहे हो
फिल्म इंडस्ट्री की गंदगी पर उँगली उठी तो
पानी पी-पी कर गलिया रहे हो
दुबई-कल्चर में रंग कर भाव खा रहे हो
भारतीय बनना सीखो जानी
भारतीयता को तुम भूलते जा रहे हो।
अगर मुंबई पुलिस में जरा भी ईमानदारी होती
तो सुशांत के परिजनों से सबसे पहले मिलती
खुद बिहार जाकर पूछताछ करती
इस तरह केस की बुनियाद रखती
किन्तु, ऐसा वाजिब कदम न उठाकर
पुलिस ने साबित कर दिया खुद को नकारा
कैसे पाएगा इंसाफ सुशांत बेचारा।
पालघर के दो मासूम साधुओं की आत्मा
हमको बराबर पुकार रही हैं
पालघर इलाके में अनैतिक-ईसाईकरण पर सवाल उठा रही हैं
अपने वकील की इरादतन हत्या पर हमें सावधान कर रही हैं
चेत जाओ भारतवासियो चेत जाओ
आदतन ऊँघते रहने से बाज आओ
हो जाओ एकजुट हो जाओ
माँ भारती के दिल को मत दुखाओ
सनातन-संस्कृति को चौतरफा हमलों से बचाओ।
सुशांत की आत्महत्या की झूठी घुट्टी पिलाने वालो
क्या उसके ट्रेनर के खुलासे को नकार दोगे
सुशांत के दिमाग को पंगु करने की दवाईयाँ खिलाने-पिलाने को झुठला दोगे
उसके पिता की, सुशांत की हत्या से पहले वाली, आशंका को खारिज कर दोगे
अर्नब को सिखाओगे पुलिस की ईमानदारी और पत्रकारिता की जिम्मेदारी
पुलिस! नेताओं और फिल्मी-माफियाओं से मिलकर चला रही है दुकानदारी।
ओ! उद्धव सरकार
मत भाँजो दुधारी तलवार
तुम्हारे बॉस शरद पँवार
कहकर सोनिया को विदेशी
कांग्रेस से हो गए थे अलग
आज उन्ही की दुआ और दवा से
गिरगिट की तरह बदलकर रंग
राज कर रहे हैं सोनिया के संग
भारत के मतदाताओं को कितने धोखे दोगे
हिंदुत्व के छलावे को और कितने नाम दोगे
जानते नहीं क्या?
आज भी फिल्म इंडस्ट्री में
जिहादियों और कम्यूनिस्ट माफियाओं का चल रहा है राज
उन्हीं के चंदे तले दबा हुआ है तुम्हारा मिजाज
खबरदार! श्री राम का नाम होंठो पर लाने से पहले
समझने की कोशिश करो कि कौन थे शिवाजी महाराज?
किसके सिद्धांतों पर चलते थे जीजाबाई पुत्र शिवाजी महाराज
जिनके नाम को बेहयाई से भुनाकर चला रहे हो तुम उटपटांग राज।
             -सावित्री पुत्र वीर झुग्गीवाला, स्वतंत्र पत्रकार, देहरादून।

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