-कोटद्वार का नाम कण्वनगरी कोटद्वार रखा जाएगा: सीएम
कोटद्वार (सू0वि0)। कण्वाश्रम स्थित वैदिक आश्रम गुरुकुल महाविद्यालय के स्वर्ण जयंती समारोह के अवसर पर पांच दिवसीय विश्व का प्रथम मुस्लिम योग साधना शिविर का शुभारंभ हुआ। मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने कोटद्वार वैदिक आश्रम गुरुकुल महाविद्यालय में मुस्लिम योग साधना शिविर का उद्घाटन किया। कोटद्वार के कण्वाश्रम स्थित वैदिक आश्रम गुरुकुल महाविद्यालय के स्वर्ण जयंती समारोह के अवसर पर पांच दिवसीय विश्व का प्रथम मुस्लिम योग साधना शिविर का आयोजन किया गया है। इसके विभिन्न देशों के 500 से अधिक मुस्लिम पुरूष व महिलाएं प्रतिभाग कर रही हैं। मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने कहा कि कोटद्वार का नाम कण्वनगरी कोटद्वार रखा जाएगा। उन्होंने कलाल घाटी का नाम कण्वघाटी रखे जाने की मांग पर कोटद्वार नगर निगम को इसका प्रस्ताव भेजने को कहा। मुख्यमंत्री ने कहा कि योग हमारे मन, मस्तिष्क और विचारों को इतना ऊंचा उठा देता है कि हम सभी की चिंता करने लगते हैं। योग हमें विश्व कल्याण की ओर ले जाता है। शास्त्रों में लिखा है कि हर वनस्पति में कोई न कोई औषधीय तत्व होता है, हर मनुष्य में कोई ना कोई गुण होता है और हर अक्षर में मंत्र की शक्ति होती है। वनस्पतियों में औषधीय तत्वों को पहचानने की आवश्यकता है। आज चिकित्सा व स्वास्थ्य से जुड़े संस्थानों में योग शिक्षकों की मांग हो रही है। योग हमारे ऋषि मुनियों की सैंकड़ों वर्षों की साधना का परिणाम है। सर्वे भवन्तु सुखिन सर्वे सन्तु निरामया की परिकल्पना भारतीय संस्कृति की देन है। सब को निरोग बनाने का काम भारत देश कर सकता है। प्रधानमंत्री जी के प्रयासों से 21 जून को विश्व योग दिवस के रूप से मनाया जाता है। योग को आज पूरी दुनिया अपना रही है। योग धर्म और पूजा पद्धति से हटकर है। ये सबको निरोग करने तथा सबको जोडऩे का माध्यम है। मुख्यमंत्री ने कहा कि केंद्र सरकार ने कोटद्वार के कण्वाश्रम को आईकोनिक डेस्टीनेशन में शामिल किया है। इससे यहां का विकास होगा और पर्यटन गतिविधियां बढेंगी। राज्य सरकार भी कण्वाश्रम के विकास के लिए तत्पर है। आयुष मंत्री डा. हरक सिंह रावत ने मुस्लिम योग शिविर के लिए बधाई देते हुए कहा कि इस योग शिविर के माध्यम से पूरे विश्व में एक संदेश जाएगा। योग को धर्म से जोडऩा गलत है। यह विश्व कल्याण का मार्ग प्रशस्त करता है। योग सभी को जोड़ता है। इस अवसर पर इन्द्रेश कुमार, परमार्थ निकेतन के स्वामी चिदानंद, गुरूकुल महाविद्यालय के संस्थापक डा. विश्वपाल जयंत सहित अन्य गणमान्य उपस्थित थे।
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