B. of Journalism
M.A, English & Hindi
सावित्री पुत्र वीर झुग्गीवाला द्वारा रचित-
Virendra Dev Gaur Chief Editor (NWN)
6 दिसम्बर के लिए ख़ास नज़राना
एक सितमगर बाबर ने 1526 में
अयोध्या को खून से नहलाया था
शहंशाह नहीं वह तो बन्धु
पैगम्बर का साक्षात कहर
बन कर आया था।
गजनी के मोहम्मद गजनवी ने भी
आक्रान्ता बाबर से
छह सौ बरस पहले
यही कहर सोमनाथ पर ढाया था।
मोहम्मद गजनवी किन्तु
केवल एक वहशी लुटेरा बन कर आया था
शैतान बाबर के मन में तो
ज़िहाद का जल्लाद समाया था।
मोहम्मद गजनवी के करीब सौ साल बाद
भारत में जड़ें जमाने के नापाक इरादे लेकर
मोहम्मद गौरी तशरीफ लेकर आए
दिल्ली और अजमेर के महा-पराक्रमी राजा
पृथ्वीराज चौहान से आ टकराए
और भीगी बिल्ली बनकर
बचते-बचाते दुम दबाकर भागे।
फिर पूरी तैयारी के साथ आ धमके
और दिन के उजाले में हार के ख़ौफ़ से
रात के अँधेरे में पृथ्वीराज चौहान की
सोती हुई सेना पर बोला कायराना धावा
लहराया भारत की छाती पर
पैगम्बर मोहम्मद का परचम धोखे से।
चल पड़ा दुर्भाग्यपूर्ण सिलसिला फिर तो
मन्दिरों ओर पवित्र स्थलों को जमींदोज कर
मस्जिदों और मकबरों को आबाद करने का
इस्लाम को हिन्दुस्तान पर थोपने का।
मान लो सच कभी-कभी बहुत कड़वा होता है
कितने ही तर्क दे लो
कुतुबमीनार हो या ताजमहल
काशी मथुरा हो या अयोध्या धाम
सबकी बुनियाद में दफन राम और श्याम हैं
कहीं तो श्रीराम के आराध्य खुद सदाशिव धाम हैं।
कभी पैगम्बर मोहम्मद से पिटे
कभी महान ईसा मसीह से लुटे
ऐ देश तू सदा लुटता-पिटता क्यों रहा
तूने कभी क्यों बाहरी मुल्कों का रुख न किया
तेरे पास तो सिकन्दर से हार कर भी उसे भयभीत कर देने वाले राजा पौरुष थे
तू कहीं बाहर गया भी तो धर्म और शांति का संदेश लेकर
आक्रमण पर आक्रमण सहता रहा विश्वबन्धुत्व का ज्ञान देकर।
मेरे देश समझ में तेरी क्यों आता नहीं
सैकड़ों बरस पुराने जिहाद पर तू खून क्यों अपना खौलाता नहीं
कश्मीर का जीता-जागता प्रमाण तुझे नजर क्यों आता नहीं
क्या तुझे गर्दन उठाकर जीना तक आता नहीं
आज भी तू काफिर कहलाता पर उबाल तुझे आता नहीं
एक मन्दिर पर तू अटका पड़ा है भूचाल क्यों लाता नहीं
आज का मुसलमान सुन तुझे समझ क्यों आता नहीं
तू आक्रान्ता नहीं भारतीय है कोई तुझे क्यों यह समझाता नहीं
चल साथ चल पड़ तू अयोध्या धाम क्यों तू जाता नहीं
विश्व नायक श्रीराम का वहीं पर विश्व प्रसिद्ध मन्दिर क्यों बनाता नहीं
श्रीराम की पराजय का आनन्द उठाने वालो तुमसे भारत क्यों छोड़ा जाता नहीं
तुम्हारी देश में मनहूस उपस्थिति पर कयामत का तूफान क्यों आता नहीं।
-जय भारत