प्रदेश सरकार
देश की सरकार
मुझे दुखड़ा यह कहना है
अकेली आज भी
हजारों की तादाद में
मेरी दुखियारी बहना है।
जिसकी कोख से दुनिया
गुलो गुलज़ार रहती है
दुनिया की वही माता
अलग-थलग उजाड़ रहती है
बहना बेटी मेरी कोई
प्रसव पीड़ा में बिलबिलाती
मीलों जिस्म घसीटती पैदल अस्पताल जाती है
या फिर
लकड़ियों डंडों और गुदड़ों के
घोंसलों में छटपटाती अस्पताल ले जायी जाती है
ऐसी वेदना को महसूस करके
मेरी रूह काँप जाती है।
21वीं सदी के भारत की
उजली तस्वीर बिखर जाती है
जब कोई ऐसी बहना बेटी माई
राह में दम तोड़ चली जाती है।
Virendra Dev Gaur (Veer Jhuggiwala)
Chief Editor (NWN)