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रानी की वाव (बावड़ी), महसाणा, गुजरात

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आर्कियोलोजिकल डिपार्टमेंट की मेहनत से
नदी की गाद हटाकर
ग्यारहवीं सदी में पाटन की रानी ने
बनवाई थी जो आठ मंजिला वाव
हुई प्रकट वह दुनिया के सामने
मूर्ति कला, स्थापत्य, इंजीनियरिंग, धार्मिक ज्ञान की
बेजोड़ कारीगरी उन्नत और महान
जिसे देखकर इतिहास का जानकार
कह उठेगा मुँह में उँगली दबाने के बाद
जय भारत, जय विश्व के वैभव और शांति के स्वर्णिम सोपान।
धन्य-धन्य मोदी
धन्यवाद कोटि-कोटि आपको हे भारत माँ के सपूत
तुम्हारी सरपरस्ती में ही हो सकता था
ऐसा महानतम पुण्य काम
हमारा सौभाग्य कि हम देखेंगे
सौ के नये नोट पर आपकी कृपा से
भारत की प्राचीन समृद्धि और ललित कलाओं का महाज्ञान
मिलेगा दुनिया को शान्ति सम्पन्नता और प्रगति का हमारा ऐतिहासिक प्रमाण
मैं तो कहता हूँ यह दुनिया का पहला आश्चर्य है दुर्लभ ज्ञान-विज्ञान।

 Virendra Dev Gaur (Veer Jhuggiwala)

 Chief Editor(NWN)

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