नई दिल्ली। भारत यू.एन सुरक्षा परिषद का अस्थायी सदस्य है। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में रूस के यूक्रेन पर हमले की निंदा करने के लिए प्रस्ताव लाया गया। भारत ने इस निंदा प्रस्ताव में भाग नहीं लिया। भारत के साथ-साथ वामपंथी तानाशाह चीन और यू.ए.ई ने भी निंदा प्रस्ताव में भाग नहीं लिया। 11 सदस्यों ने निंदा प्रस्ताव का साथ दिया यानि रूस की निंदा की जबकि एक देश ने इस प्रस्ताव का विरोध किया। रूस ने वीटो का इस्तेमाल किया और अपने आक्रमण को जायज ठहराया। यूक्रेन ने भारत से सहायता की गुहार लगाई लेकिन भारत ने इस गुहार को नजरअंदाज कर दिया। रूस भारत का अभिन्न मित्र है। पोखरण परमाणु परीक्षण के विरोध में यूक्रेन ने भारत को धिक्कारा था। जबकि रूस ने तब भी भारत का साथ दिया था। ऐसे मित्र देश रूस का हम विरोध क्यों करें। वैसे भी यूक्रेन ने नेटो में शामिल होने की जिद्द पकड़कर कोई समझदारी का काम नहीं किया है। अगर नेटो में दम होता तो वे अपने संगठन में शामिल होने को लालायित यूक्रेन की रक्षा न करते। यूक्रेन को अपनी जिद्द छोड़ देनी चाहिए। तत्काल रूस से संधि कर लेनी चाहिए। रूस यारों का यार है। रूस की चिंताओं को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है। हालाँकि, रूस को यूक्रेन में कम से कम तबाही करके अपना समाधान तलाशना चाहिए। रूस यूक्रेन में ऐसी सरकार लाना चाहता है जो नेटोपरस्त न हो। वैसे रूस ने अचानक हमला नहीं किया है। अमेरिका और उसके साथियों ने एक बार फिर कायराना रूख अपनाया। वही रूख जो इन्होंने अफगानिस्तान को लेकर अपनाया था। अगर इनका रवैया गैर जिम्मेदाराना न रहा होता तो अफगानिस्तान में आज जिहादी तालिबानी सरकार काबिज न होती। वहाँ लोकतंत्र समर्थक शक्तियाँ चारों खाने चित्त न होतीं।
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