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यूक्रेन संकट से बढ़ सकती है भारतीय गेहूँ की माँग

नई दिल्ली। रूस ने यूक्रेन पर हमला कर ही दिया। इस युद्ध से यूक्रेन और रूस से निर्यात होने वाले गेहूँ अब आयातक देशों तक पहुँचना संभव नहीं लग रहा। ऐसी स्थिति में भारत के किसानों के लिए गेहूँ निर्यात करने की संभावना बढ़ सकती है। टर्की, बांग्लादेश और मिस्र जैसे देश यूक्रेन और रसिया से गेहूँ आयात करते रहे हैं। अगर इन दोनों देशों के बीच युद्ध लम्बा खिंच गया तो ये देश गेहूँ का निर्यात नहीं कर पाएंगे। भारत के गेहूँ की माँग बढ़ने के आसार का यही कारण है। वैसे भी यू.एस.ए और उसके साथी रसिया पर आर्थिक प्रतिबंध लगाने की तैयारी में है। इन प्रतिबंधों का रूस पर विपरीत असर पड़ेगा। हालाँकि भारत को भी इस युद्ध का कुछ न कुछ खामियाजा तो भुगतना ही पड़ेगा। भारत जो वस्तुएं और खाद्य पदार्थ इन देशों से आयात करता रहा है। अब उन चीजों को अन्य मुल्कों से खरीदना पड़ेगा। प्रधानमंत्री मोदी कृषि क्षेत्र को आधुनिक बनाने पर जोर दे रहे हैं। इसी नीति के तहत तीन नये कृषि कानून बनाए गए थे। जो कि क्षुद्र राजनीति की भेंट चढ़ गए। वाणिज्य और उद्योग मंत्री पीयूष गोयल लगातार इस बात पर जोर दे रहे हैं कि भारतीय उत्पात भले ही थोड़ा मँहगे हो लेकिन घरेलू कंपनियों को इन्हें ही खरीदना चाहिए। उनके अनुसार जापान और कोरिया जैसे देश इसी नीति पर चल रहे हैं। वहाँ की कंपनियाँ अपने ही देश के उत्पाद खरीद रही हैं। यही भारत की कंपनियों को भी करना चाहिए। भारत के किसानों को बेहतर बनाने के लिए तिलहन की खेती को भी सरकार बढ़ावा दे रही है। मोदी सरकार भारतीय किसानों के लाभ को दोगुना करने की नीति पर चल रही है। लेकिन विपक्षी ऐसा होने नहीं देना चाहते। किन्तु मोदी हार मानने वालों में से नहीं हैं।


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