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समाचार पत्र और पत्रकारिता लोकतंत्र का चैथा स्तंभ: स्वामी चिदानन्द सरस्वती

ऋषिकेश। परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती ने आज भारतीय समाचार पत्र दिवस के अवसर पर सभी सम्पादक और पत्रकार बंधुओं को शुभकामनायें देते कहा कि अखबार सिर्फ एक कागज का टुकड़ा नहीं है बल्कि हासिये पर खड़े व्यक्तियों की आवाज़ है।
आज का दिन भारत में पहले समाचार पत्र के जन्म और प्रिंट होने के रूप में मनाया जाता है। स्वामी ने कहा कि* *समाचार पत्रों का मूल उद्देश्य सेवा भाव से है। समाचार-पत्रों में सशक्त शक्ति होती है जिसके कारण वे सामाजिक उत्तरदायित्व को निभाते है।
समाचार पत्र और पत्रकारिता लोकतंत्र का चैथा स्तंभ है जो बेजुबान लोगों की सशक्त आवाज़ के रूप में कार्य करता है। स्वामी जी ने कहा कि एक जाग्रत, जीवंत, निर्भिक, स्वतंत्र और आलोचनात्मक समाचार पत्रों और मीडिया के बिना एक जीवंत लोकतंत्र की कल्पना नहीं की जा सकती है। स्वतंत्र मीडिया न केवल सार्वजनिक उद्देश्य के समाचार और विचारों को प्रसारित करता है, बल्कि एक सशक्त प्रहरी के रूप में भी काम करता है और लोकतंत्र की जीवंतता को भी बनाये हैै। लोकतंत्र की सफलता के लिये समाचार पत्र और जीवंत मीडिया एक महत्त्वपूर्ण पैरामीटर के रूप में कार्य करते है।
मीडिया के माध्यम से हमें एक ऐसी श्रृखंला विकसित करने की जरूरत है जो नैतिक मूल्यों से युक्त हो। साथ ही पृथ्वी के प्रति अहिंसा, सत्य, प्रेम,शुचिता और ईमानदारी के भाव भी आने वाली पीढ़ियों में विकसित करने में महत्वपूर्ण भूमिका मीडिया निभा सकता है। समाज के अंतिम छोर पर खड़े व्यक्ति को विकास की मुख्य धारा में जोड़ने के साथ-साथ हमारे प्राकृतिक संसाधन और धरती माँ को भी जीवंत बनाये रखने में मीड़िया का अद्भुत रोल निभा सकता है।

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