देहरादून (संवाददाता)। गर्मी के दिनों में पेयजल की कोई दिक्कत न हो, इसके लिए संभावित पेयजल संकट वाले स्थानों को अभी से चिन्हित कर लें। वैकल्पिक व्यवस्था के रूप में टैंकर, जनरेटर पहले से ही रिजर्व कर लें। जहां जरूरत हो हैंडपंप लगवा दें। मुख्य सचिव उत्पल कुमार सिंह शनिवार को पेयजल, सूखा मैन्युअल, स्वच्छ भारत, नमामि गंगे की समीक्षा कर रहे थे। सचिवालय में आयोजित बैठक में मुख्य सचिव ने सभी जिलाधिकारियों से इस बारे में जानकारी ली। मुख्य सचिव ने जिलाधिकारियों को ताकीद किया कि सूखा मैन्युअल का गहराई से अध्ययन कर लें। मैन्युअल में निर्धारित पैरामीटर के अनुसार तैयारी करें। इसमें ट्रिगर एक में बारिश न होने से सूखे के संकेत मिलते हैं। ट्रिगर दो में जल स्रोत, जलाशय, भूजल, नमी और वनस्पति इंडेक्स से संकेत मिलते हैं कि पानी न होने का असर फसलों पर पड़ेगा या नहीं। फिर ट्रिगर तीन में मौके पर निरीक्षण कर सूखे से निपटने की कार्य योजना बनानी है। बैठक में बताया गया कि अभी तक प्रदेश में कहीं भी सूखे की स्थिति नही है। फिर भी, मुख्य सचिव ने निर्देश दिए कि जिलाधिकारी वैज्ञानिक आधार पर तय मैन्युअल के अनुसार स्थिति पर निगरानी रखें। पेयजल के बारे में बताया गया कि गर्मी में 92 योजनाएं प्रभावित होने की संभावना है। इससे 1122 बस्तियों में पेयजल संकट हो सकता है। इससे निपटने के लिए विभागीय टैंकर, किराये के टैंकर, जनरेटर का इंतजाम कर लिया गया है। नमामि गंगे और स्वच्छ भारत अभियान में जिओ टैगिंग का कार्य जल्द पूरा करने के लिए कहा गया। यह भी बताया गया कि नियमित रूप से जिला गंगा समिति की बैठक करें। यह सुनिश्चित करें कि गंगा नदी में किसी भी तरह का कूड़ा कचरा न जाय। गंगा के किनारे पडऩे वाली 132 ग्राम पंचायतों के 268 गांवों में लगातार मॉनिटरिंग करें।
बैठक में सचिव कृषि डी.सेंथिल पांडियन, सचिव पेयजल अरविंद सिंह ह्यांकी, निदेशक नमामि गंगे राघव लंगर, सचिव नियोजन रंजीत सिन्हा सहित अन्य अधिकारी उपस्थित थे।
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