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B. of Journalism
M.A, English & Hindi
सावित्री पुत्र वीर झुग्गीवाला द्वारा रचित-
Virendra Dev Gaur Chief Editor (NWN)
धनोवा की देखी धार बारह वीर पायलटों का वार दमदार
एयरचीफ मार्शल की पैंनी रणधार
धनोवा जी के बारह फाइटर पायलटों का वार
खुफिया तंत्र रहा चौकन्ना होशियार
जल सेना की अरब सागर में मायावी हलचल अपार
थल सेना झपटने को पंजों पर खड़ी थी बेकरार
नजरें गड़ाए, मुट्ठियां तानें, गाल तमतमाए हुए था चौकीदार
हर-हर महादेव का जयघोष गूंज रहा था छाती के आर-पार
बारह अग्निबाण बन कर सनसनाते चले मिराज दो हजार
जिहादिस्तान का आकाश थर्राया मच गया हाहाकार
काँपी धरती जिहादिस्तान की सहम गया संसार
सो रहा था जिहादिस्तान सुबह चार बजे का था इंतजार
जिहाद का विश्वविद्यालय बालाकोट जल उठा बन कर धूल-धुँए का गुबार
धनोवा के बारह ‘‘हवा युद्ध’’ के योद्धा जान को हथेली पर लेकर उड़े थे सीमा पार
आए सकुशल लौट कर विजेता भाव में भरे बरसा कर अंगार
दुश्मन रह गया चकित हुआ दंग फिर एक बार
देश की वायु सेना का देखा दुनिया ने रण कौशल और अचूक प्रहार
विश्व शांति के दुश्मन जिहाद भारत को करना चाहिए तेरा सम्पूर्ण संहार।
जय भारत जय भारत की सेना जय किसान