चमोली उत्तराखंड से केशर सिंह नेगी की रिपोर्ट
किसानों को बागवानी व उन्नत खेती के लिए भले ही प्रदेश सरकार तमाम योजनायें बना रही है। मगर फसलों को नुकसान पहुचा रहे जंगली जानवरों के आतंक को लेकर सरकारें भी मौन बैठी हुई है। नारायणबगड़ ब्लाक व थराली ब्लॉक के आलकोट, मेटा, झीजोडी, नेलढालू, धारबारम ,भटियांना नीलाड़ी सनेड अंगोठ मेदनी खेनोली गांव में इन दिनों जंगली जानवरों के आतंक से काष्तकार परेशान है। यहां जंगली जानवरों ने किसानों की फसलों को काफी नुकसान पहुचाया हैं जिससे परेशान ग्रामीणों ने वन विभाग से फसल की छति का मुआवजा देने की मांग की है। उत्तराखण्ड के पर्वतीय जिलों मे रहनें वाले अधिकांश लोग काष्तकारी कर जीवन यापन करते है। मगर मगर कुछ समय से काष्तकारों की खेती पर जंगली जानवरों की ऐसी नजर पडी कि जंगली सुअर खरगोश व बंदर लंगूर फसलों को नुकसान पहुचा रहे है। ताजा मामला नारायणबगड़ ब्लॉक के गांव का सामने आया है। जहां पर कि काष्तकारों द्वारा सेकड़ो हेक्टेयर भूमि पर काष्तकारी की जाती है। काष्तकार दिनभर खेतो में पसीना बहाकर मेहनत कर जीवन यापन करते है। मगर कुछ समय से जंगली जानवरों द्वारा लगातार फसलों को नुकसान पहुचा कर फसलों को रौंदा जा रहा है। जिससे किसानों को मेहनत के बदले कुछ भी हासिल नही आ रहा है। जिससे परेशान किसानों ने वन विभाग से फसलों की छति के मुआवजे की मांग की है। पहाडों में दिन प्रति दिन जंगली जानवरों के आतंक से परेशान किसान करे तो करे क्या । फसलों को नुकसान पहुचा रहे जंगली जानवर अब जंगलों को छोड आवासीय बस्ती तक आ गये है। जिससे बगीचों में फल शब्जियां भी बंदर बर्बाद कर रहे है। पीडित लोगो का कहना है कि जंगली जानवरों से परेशान अब उनका मन खेती में भी नही लग रहा है। यही वजह है कि आज लोगा खेती छोड पहाडों से मैदानी क्षेत्रों की ओर पलायन कर रहे है। सरकारों को इस बारे में सोचना चाहिए ताकि खेती पर लोगो का मन लगा रहे । उन्होने स्थानीय विधायक मुन्नी देवी पर भी क्षेत्र की अनदेखी का आरोप लगाया है। गांव के किसानों ने कहा कि विधायक सिर्फ वोट मांगने आते है और फिर दिखायी नही देते है। अगर विभाग ने हमारी समस्या का निदान नही किया तो जिलाधिकारी से गुहार लगाई जायेगी । क्षेत्र में जंगली जानवरों के आतंक से परेशान किसानों की शिकायत पर बद्रीनाथ बन प्रभाग को दी जा रही है रेंज के विभागीय अधिकारी से काश्तकारों ने गुहार लगाई फसलों की छति का निरिक्षण कर उचित मुआवजा दिया जाय जहा दिनों दिन हो रहे पेडों के कटान व खानपान के अभाव के कारण जंगली जानवर आवासीय बस्ती की ओर आ रहे है। जिस कारण वे फसलों को नुकसान पहुचा रहे है। समय समय पर रोकथाम के लिए पिंजरा लगाकर बंदरों को बाहर छोड दिया जाता है। ग्रामीणों की शिकासती पत्र के आधार पर मुआवजा भी दिया जायेगा । पहाडों पर हो रहे अनादुन अवैध पेड पौधों का कटान व जंगलों में खानपान की कमी से जंगली जानवर आज बस्ती की ओर आने लगे है। और फसलों को नुकसान पहुचा रहे है । इसकी रोकथाम के लिए हमें जंगलों में अधिक से अधिक फलदार पौधों का रोपण करना चाहिए ताकि जंगजी जानवरों को भोजन के लिए आवासीय बस्तियों की ओर न आना पडे जिससे न सिर्फ हमें जंगली जानवरों के आतंक से निजात मिलेगी बल्कि पर्यावरण साफ व सुन्दर भी होगा
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