सावित्री पुत्र वीर झुग्गीवाला द्वारा रचित-
Virendra Dev Gaur Chief Editor (NWN)
सन 2014 में हमने बात आपकी मानी
सन 2019 में हमने फिर दोहराने की ठानी
सन 47 से चली आ रही जर्जर व्यवस्था ने खोया पानी
चारों ओर दिखाई देती थी कुव्यवस्था की रानी
नहीं सुधारी गई अव्यवस्था तो देश की होगी हानि
नितर जाएगा आशा का बचा-खुचा पानी।
सन 2014 में हमने बात आपकी मानी
सन 2019 में हमने फिर दोहराने की ठानी
घोर अवसरवादी राजनीति की खतम करो कहानी
ऐसे देश-विरोधी दलों ने खूब कर ली मनमानी
सर से ऊपर जा पहुँचा है सहनशीलता का पानी
सुव्यवस्था के लिए कर गुजरो ऐसा ना हो कोई सानी।
सन 2014 में हमने बात आपकी मानी
सन 2019 में हमने फिर दोहराने की ठानी
इन्द्रप्रस्थ में राम लखनपुर में भरत सी देखी हमने बानी
पूरे देश में हम सबको मिलकर यह भावना है जगानी
देशभक्ति की अखंड ज्वाला हर दिल में है जलानी
कंकड़-पत्थर के अन्दर भी यह ज्वाला है भड़कानी।
सन 2014 में हमने बात आपकी मानी
सन 2019 में हमने फिर दोहराने की ठानी
सिकुड़ कर देश रह गया छोटा सा स्वार्थी दलों को है बात समझानी
जात-पात मजहब की ज़हरीली घुट्टी गंदे नाले में है बहानी
राम-कृष्ण के पावन देश में प्रेम की गंगा है बहानी
धूमिल छवि पर भारत की फिर से चमक है लानी।
सन 2014 में हमने बात आपकी मानी
सन 2019 में हमने फिर दोहराने की ठानी
आमूल-चूल बदलाव की शर्तिया बहार है लानी
देशवासियों को हो रही है चाहे खासी परेशानी
किन्तु आपके अच्छे कामों से दुष्टों में है हताशा-हैरानी
भविष्य भारत का दमका दो-चमका दो, हे भारतमाता के पुत्र बलिदानी।
-इति