
देहरादून (संवाददाता)। प्रदेश में 15 अगस्त के बाद वाहन प्रदूषण नियंत्रण प्रमाणपत्र केवल ऑनलाइन ही जारी किए जाएंगे। इसके साथ ही परिवहन विभाग ने सभी प्रदूषण नियंत्रण केंद्रों को अपनी सभी प्रक्रियाएं ऑनलाइन करने के निर्देश दिए हैं। अभी तक यह प्रमाणपत्र परिवहन विभाग द्वारा दिए गए प्रारूप पर जारी किए जाते हैं। प्रदेश में इस समय तकरीबन 27 लाख वाहन पंजीकृत हैं। वाहनों की बढ़ती संख्या के साथ ही वायु प्रदूषण की समस्या भी बढऩे लगी है। वाहनों में प्रदूषण जांचने को प्रदेश में तकरीबन सौ से अधिक प्रदूषण जांच केंद्र बने हुए हैं। यह जांच केंद्र अभी मैनुअल प्रमाणपत्र जारी करते हैं। यानी यह प्रमाणपत्र विभाग द्वारा निर्गत किए जाते हैं। इन पर यह केंद्र वाहनों के प्रदूषण की कंप्यूटरीकृत एंट्री कर वाहन चालकों को सौंप देते हैं। हालांकि, इन प्रदूषण केंद्रों से जारी प्रमाणपत्रों पर सवाल भी उठते रहे हैं। कई बार इन केंद्रों से फर्जी प्रमाणपत्र बनाने के मामले भी सामने आए हैं। जिनमें वाहन का प्रदूषण चेक किए बगैर प्रमाणपत्र दे दिए गए। आरोप यह भी लगे कि कुछ केंद्र विभाग द्वारा जारी प्रमाण पत्रों की फोटो कॉपी कराकर भी प्रमाणपत्र जारी कर रहे हैं। अब भारत सरकार द्वारा जारी निर्देशों की क्रम में सभी प्रदूषण जांच केंद्रों को वाहन पोर्टल से जोड़ दिया गया है। इससे वाहनों की प्रदूषण जांच का कार्य वाहन पोर्टल से लिंक होने के कारण परिवहन विभाग को रियल टाइम के आधार पर उपलब्ध रहेगा। प्रदूषण जांच केंद्र स्थापित करने या नवीनीकरण के लिए आवेदक ऑनलाइन ही आवेदन कर सकते हैं। राज्य में कितने वाहनों की प्रदूषण जांच हुई है और कितने वाहनों के प्रदूषण निर्धारित समय सीमा के भीतर हैं, इसकी जानकारी भी एक क्लिक पर मिल रही है। इतना ही नहीं प्रदूषण नियंत्रण प्रमाणपत्र खोने की स्थिति में वाहन स्वामी इसे मुफ्त में ही डाउनलोड भी कर सकता है। इस योजना के शुरू होने के बावजूद कई केंद्र अभी भी ऑनलाइन के स्थान पर परिवहन विभाग द्वारा जारी प्रारूप पर ही प्रमाणपत्र जारी कर रहे हैं। इसे देखते हुए अब परिवहन विभाग ने 15 अगस्त तक सभी केंद्रों से ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन करने के साथ ही सभी प्रमाणपत्र ऑनलाइन जारी करने की समय सीमा तय कर दी है। अपर परिवहन आयुक्त सुनीता सिंह ने कहा कि इससे गलत तरीके से प्रदूषण नियंत्रण प्रमाणपत्र जारी होने की आशंकाओं पर रोक लग सकेगी।