उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने राज्य के चौतरफा विकास की गति को तेज कर दिया है। केन्द्र की तमाम बड़ी-बड़ी योजनाओं और परियोजनाओं को अमली जामा पहनाने के साथ-साथ राज्य की ढाँचागत विकास योजनाओं को भी धरातल पर उतारा जा रहा है ताकि करीब साढ़े तीन साल में सम्पन्न हुए विकास कार्यों को तय अवधि से पहले ही पूरा किया जा सके। राज्य को आर्थिक मोर्चे पर मजबूत करने के सभी सम्भव प्रयास किए जा रहे हैं ताकि राज्य कोविड-19 जैसी भंयकर विपदाओं में भी लगातार आगे बढ़ते हुए राज्य के अधिक से अधिक लोगों को संजीवनी देने का काम कर सके। राज्य ने केवल कोविड-19 की चुनौतियों का सफलता के साथ सामना करता रहा है बल्कि इस महामारी के चलते सामने आई तमाम परिस्थितियों के हिसाब से अपनी नीतियों में बदलाव कर विकास को तेज करने में भी जुटा हुआ है। महामारी के दौरान अपने गाँव लौटे लोगों की सभी ज़रूरतों की ध्यान रखते हुए उन्हें रोजगार उपलब्ध कराए जा रहे हैं। यही नहीं इसी के साथ-साथ पलायन पर लगाम कसने के लिए राज्य के परिवेश को ध्यान में रखकर रोजगार सृजित किए जा रहे हैं ताकि राज्य चौतरफा प्रगति कर सके। मौजूदा सरकार सभी स्तरों पर सरकारी पदों को भरने की कोशिश में लगी है और स्वरोजगार के अवसरों को बढ़ावा देने की हर मुमकिन कोशिश भी कर रही है। जिसके लिए भ्रष्टाचार पर प्रहार कर अनुकूल वातावरण तैयार किया जा रहा है।
त्रिवेन्द्र सरकार का दावा है कि वह अपने चुनावी घोषणा-पत्र में किए गए वादों का 85 प्रतिशत हिस्सा धरातल पर उतार चुकी है। कोविड-19 की मार के बावजूद उसने विकास की गति को पटरी पर बनाए रखने में सफलता हासिल की है। बाकी 15 प्रतिशत वादों को तय समय सीमा से पहले पूरा कर लिया जाएगा क्योंकि राज्य डबल-इंजन की सरकार वाली रफ्तार से काम कर रही है। सरकार ने प्रेस वार्ता के माध्यम से अपने इन दावों की पुष्टि की है। सरकार का कहना है कि वह राज्य के हर वर्ग और हर समुदाय की समस्याओं से भली भाँति परिचित है। ग्राम स्वराज की भावना को साकार करते हुए जन-जन के हितों का ध्यान रखा जा रहा है। इसी क्रम में राज्य के अन्दर चार वानर रेस्क्यू सेंटरों की स्थापना की गई। जंगली सूअरों से फसल सुरक्षा के लिए 125 किमी लम्बाई की दीवारों का निर्माण किया गया। यह सूअर-रोधी दीवारों का कुल योग है अभी तक। हाथियों को नियंत्रण में रखने के लिए भी अभी तक तेरह किमी लम्बी दीवारों का निर्माण किया जा चुका है। इसके अलावा हाथियों को दूर रखने के लिए खाईयों को भी तैयार किया गया है। महिला पौधालयों की स्थापना करके हजारों महिलाओं को रोजगार उपलब्ध कराया जा रहा है। एक विश्व स्तरीय विज्ञान महाविद्यालय स्थापित करने की योजना का साकार किया जा रहा है। पर्यावरण जैसे संवेदनशील मुद्दे पर व्यापक जन-जागृति के लिए पाँच हजार विद्यालयों में ईको-क्लबों की शुरुआत के लिए कार्य-योजना को अन्तिम रूप दे दिया गया है।
मुख्यमंत्री ने स्पष्ट किया कि रोजगार के मोर्चे पर सरकार कमर कसे हुए हैं। पिछले साढ़े तीन साल में रोजगार के अवसरों का सृजन किया गया है और हर स्तर पर सरकारी नौकरियों में भर्ती की प्रक्रिया को तेज किया गया है ताकि कोई भी पद खाली न रहने पाए। आगामी महीनों में इस रफ्तार को और तेज किया जाएगा। मुख्यमंत्री के अनुसार अप्रैल 2017 से सितम्बर 2020 कई विभागों में सात लाख बारह हजार से अधिक लोगों को रोजगार दिया गया है। जिसमें लगभग सोलह हजार को नियमित रोजगार एक लाख पन्द्रह हजार को स्वरोजगार दिया गया जबकि पाँच लाख अस्सी हजार लोग निर्माणधीन परियोजनाओं में कार्यरत हैं। अधीनस्थ सेवा चयन आयोग के माध्यम से वर्ष 2014 से 2017 तक कुल आठ परीक्षाओं के द्वारा 6000 पदों को भरा गया। इसके अलावा 7200 पदों को भरने की प्रक्रिया इस समय चल रही है। इन प्रयासों से प्रमाणित हो जाता है कि सरकार पढ़े-लिखे नौजवानों को ही नहीं बल्कि प्रशिक्षित एवं अप्रशिक्षित सभी तरह के लोगों को रोजगार उपलब्ध कराने के लिए बेहद गम्भीर है।
रोजगार के साथ-साथ कार्य-संस्कृति में सुधार के लिए भी सरकार सजग है। कार्य संस्कृति को लोक-कल्याणकारी बनाने के लिए ई-कैबिनेट, ई-ऑफिस, सीएम डैश बोर्ड उत्कर्ष, सीएम हैल्पलाइन 1905, सेवा का अधिकार जैसे प्रयासों को लागू किया गया है। ट्रांसफर ऐक्ट को पारदर्शी बनाकर कार्य-संस्कृति में सुधार सुनिश्चित किया गया है। राज्य में पूँजी निवेश को बढ़ावा देने के लिए हर सम्भव प्रयास किया जा रहा हैं अब तक 25 हजार करोड़ का पूँजी निवेश सुनिश्चित हो चुका है और इसे बढ़ाकर 40 हजार करोड़ तक पहुुँचाने के लक्ष्य पर काम हो रहा है। ऐसे समस्त प्रयासों से राज्य की चौतरफा प्रगति को गति मिलेगी।
– राष्ट्रीय स्तर पर प्रदेश की छवि बेहतर हुई-
राज्य सरकार के चौमुखी प्रयासों के चलते राष्ट्रीय स्तर पर राज्य की छवि में लगातार निखार आया है। इसके पीछे है सरकार की हर क्षेत्र में कार्य-कुशलता और कर्मठता। सरकार ने पलायन के विपरीत राज्य-वापसी और गाँव-वापसी को प्रोत्साहित करने की दिशा में भी प्रयास किए हैं। ऐसा करने के लिए सरकार ने ‘‘एमएसएमई’’ योजना के केन्द्र में पर्वतीय क्षेत्रों को रखा है। न्याय पंचायतों को आधार बनाकर इस नीति को लागू किया जा रहा है। ऐसे सौ से अधिक ‘‘विकास केंन्द्रों’’ को सरकार स्वीकृति भी दे चुकी है। हर गाँव में बिजली पहुँचा दी गई है। किसानों को तीन लाख तक का जबकि महिला स्वयं सहायता समूहों को पाँच लाख तक का बिना ब्याज का कर्जा दिया जा रहा है।
गन्ना किसानों को उनका शत-प्रतिशत भुगतान किया जा चुका है। नये पर्यटन केन्द्रों का तेजी से विकास किया जा रहा है। प्रत्येक जनपद में नये पर्यटन केन्द्र का विकास होने से राष्ट्रीय और अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर राज्य के पर्यटन को बढ़ावा दिया जा सकेगा। जगह-जगह रोप वे प्रोजेक्ट पर काम चल रहा है। यही नहीं अपितु राज्य में जल-संरक्षण और जल-संवर्द्धन के मोर्चे पर भी तेजी से काम चल रहा है। प्रदेश के लुप्त हो रहे जल स्रोतों को फिर से जीवित किया जा रहा है। नदियों, झीलों, तालाबों को सदाबहार बनाए रखने के लिए हर मुमकिन कोशिश की जा रही है ताकि राज्य की प्रगति को दूरगामी बनाया जा सके।
कनेक्टिविटी पर राज्य सरकार केन्द्र के साथ कन्धे से कन्धा मिलाकर काम कर रही है। डबल इंजन का भरपूर लाभ उठाया जा रहा है। केन्द्र सरकार ने प्रदेश में एक लाख करोड़ की कई परियोजनाएं चला रखी हैं। इसमें ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल परियोजना, चारधाम सड़क परियोजना, केदारनाथ धाम पुनर्निमाण, भारतमाला परियोजना ,जमरानी बहु-उद्देश्यीय परियोजना, नमामि गंगे महा योजना भारत नेट फेस-दो परियोजना जैसी बड़ी-बड़ी परियोजनाओं पर काम तेजी से चल रहा है। उत्तराखंड देश में हेली-सेवा शुरू करने वाला पहला राज्य बन गया है। केदारनाथ धाम के अलावा श्री बदरीनाथ धाम के चौतरफा सौन्दर्यीकरण के लिए भी मास्टर प्लान तैयार हो रहा है।
महत्वाकांक्षी कैम्पा योजना में चालीस हजार रोजगार के अवसर पैदा होने हैं। इस महायोजना में करीब-करीब सभी विभागों को जोड़ा जा रहा है। पर्यटन, कृषि, उद्योग,वन, ऊर्जा, जल, सहकारिता, औधोनिकी, पशुपालन, मत्स्य जैसे विभाग रोजगार सृजन क्षमता की जानकारी उपलब्ध कराने में जुट गए हैं। राज्य सरकार अधिक से अधिक लोगों को रोजगार देकर राज्य की अर्थव्यवस्था को मजबूत आधार पर खड़ा करना चाहती है। सरकार का इस बात पर भी जोर है कि किस प्रकार राज्य के संसाधनों का टिकाऊ उपयोग किया जा सके। स्व-रोजगार के लिए बैंकों से कर्ज लेने में स्व-रोजगार के इच्छुक लोगों को अधिक से अधिक सुविधा दे पाने की दिशा में भी काम चल रहा है।
-प्रधानमंत्री ने मुख्यमंत्री को सराहा-
प्रधानमंत्री नरेन्द्र दामोदर दास मोदी ने त्रिवेन्द्र सिंह रावत सरकार की तारीफ करते हुए कहा है कि पिछले चार-पाँच माह में कोविड़-19 के हमले से जूझते हुए राज्य सरकार ने पचास हजार परिवारों को नल कनेक्शन दिए हैं। इसके साथ ही जल कनेक्शन की कीमत महज एक रुपया निर्धारित कर राज्य सरकार ने सराहनीय काम किया है। ऐसे समय में जबकि कामगारों का काम छिन रहा था ऐसी राहत देना मानवीय संवेदना का परिचय देता है। विदित रहे कि राज्य सरकार ने ग्रामीण क्षेेत्रों में नल-कनेक्शन का शुल्क एक रुपया निर्धारित किया था ताकि कोविड-काल में जल-मिशन के तहत चल रही इस ऐतिहासिक योजना को प्रगतिशील रखा जा सके।
नमामि गंगे महायोजना को भी राज्य सरकार पूरी क्षमता के साथ सफल बनाने में जुटी है। जिसके चलते उत्तराखंड में 15.2 करोड़ लीटर दूषित पानी को गंगा में जाने से या तो रोक दिया जाएगा या फिर इसे गंदगी से मुक्त कर गंगा में बहने दिया जाएगा। जगतीपुर हरिद्वार में 280 करोड़ की लागत से बना 68 एमएलडी क्षमता का प्लान्ट, 20 करोड़ की लागत से बना 27 एमएलडी क्षमता का उच्चीकृत एसटीपी, सराय हरिद्वार में 13 करोड़ की लागत का 18 एमएलडी क्षमता का उच्चीकृत एसटीपी , चंडी घाट हरिद्वार में गंगा संग्रहालय, ऋषिकेश में 158 करोड़ की लागत वाला 26 एमएलडी सहित कई अन्य प्लान्ट काम शुरू कर चुके हैं और अन्य शुरू करने वाले हैं। नए साल में कुम्भ के लिए हरिद्वार और उसके आसपास तमाम कार्य प्रगति पर हैं ताकि गंगा की स्वच्छता को बरकरार रखते हुए इसके जल की निर्मलता को चरम तक बहाल किया जा सके। गुजरे छह सालों में सीवेज ट्रीटमेंट की क्षमता को बढ़ाकर चार गुना कर दिया गया है। चन्देश्वर नाले पर शुरू किया गया चार मंजिला एसटीपी प्लान्ट भारत का पहला हाईटेक प्लान्ट है।
प्रधानमंत्री ने नमामि गंगे के साथ-साथ जल जीवन मिशन के मामले में राज्य सरकार की उपलब्धियों को सराहनीय मानते हुए यह भी कहा कि जल से जुड़े मंत्रालयों को एक कर के जल शक्ति मंत्रालय का गठन किया गया ताकि देश की माताओं और बहनों को नल का जल उपलब्ध कर उनकी हर मुमकिन सहायता की जा सके। तभी तो वे अपने स्वास्थय का ध्यान रख सकेंगी और देश प्रगति पथ पर मजबूती से आगे बढ़ता चला जाएगा। प्रधानमंत्री ने कहा कि वर्ष 2022 तक हर घर को नल से जल देने का संकल्प पूरा किया जाएगा। इस बहुत बड़े मिशन में भी त्रिवेन्द्र सिंह रावत की सरकार तत्परता से जुटी है।
-सावित्री पुत्र वीर झुग्गीवाला, स्वतंत्र पत्रकार, देहरादून।
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