
देश पूरा तन है
तिरंगा मेरा मन है
माँ भारती के चरणों में
मन मेरा नमन-मगन है
ऊपर नील गगन है
गुनगुना रहा चमन है
नीचे धरती पर भारत
संस्कार श्रेष्ठ तपोवन है।
जय माँ भारती
जय झिलमिलाता तिंरगा
माँ के माथे पर तिलक का तिलंगा
‘गऊ-गेरुआ-गंगा’ की बहती यहाँ त्रिवेणी
विश्व गुरु की गाथा लगती नई-नवेली
नहीं समझ पाता जो यह सीधी-सरल पहेली
वह राक्षस मन परदेसी वह ज़ाहिल दिमाग विदेशी
लोकतंत्र के नाम पर मत चलने दो परम्परा नीच ऐसी।
Virendra Dev Gaur
Chief Editor