देहरादून (संवाददाता)। उत्तराखंड के उच्च हिमालयी क्षेत्र की शान कहे जाने वाले हिम तेंदुओं को बचाने के लिए सरकार लगातार प्रयासरत है। इसी कड़ी में इस साल सिक्योर हिमालय परियोजना में शामिल गंगोत्री-गोविंद लैंडस्केप से लेकर अस्कोट सेंचुरी तक के क्षेत्र में हिम तेंदुओं के संरक्षण एवं वासस्थल विकास पर खास फोकस किया जाएगा। साथ ही वहां इनकी संख्या जानने के मकसद से कैमरा ट्रैप की संख्या भी बढ़ाई जाएगी। इस मुहिम को गति देने के लिए राज्य ने संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (यूएनडीपी) से 3.16 करोड़ की धनराशि मांगी है। परियोजना के तहत इस उच्च हिमालयी क्षेत्र में पडऩे वाले 60 गांवों में आजीविका विकास के कार्यक्रम भी संचालित किए जाएंगे।
यूएनडीपी के सहयोग से उत्तराखंड समेत चार हिमालयी राज्यों हिमाचल, जम्मू-कश्मीर व सिक्किम में सिक्योर हिमालय परियोजना पिछले वर्ष से चल रही है। उत्तराखंड में इस परियोजना में गंगोत्री नेशनल पार्क व गोविंद वाइल्डलाइफ सेंचुरी और अस्कोट वाइल्डलाइफ सेंचुरी के दारमा-व्यास घाटी क्षेत्र को शामिल किया गया है। जैव विविधता के लिए मशहर इस क्षेत्र में हिम तेंदुओं का भी बसेरा है। उत्तरकाशी व पिथौरागढ़ जिलों के इन क्षेत्रों में लगे कैमरा ट्रैप में हिम तेंदुओं की तस्वीरें तो अक्सर कैद होती रहती हैं, मगर इनकी वास्तविक संख्या को लेकर अभी भी रहस्य बना हुआ है। ऐसे में सिक्योर हिमालय परियोजना ने हिम तेंदुओं के संरक्षण के साथ ही इनकी गणना के लिहाज से उम्मीद जगाई है। हालांकि, पिछले वर्ष इस क्रम में अध्ययन किया गया था और बात सामने आई थी कि इस क्षेत्र में हिम तेंदुओं का लगातार मूवमेंट है। तब अध्ययन रिपोर्ट में वहां कैमरा ट्रैप की संख्या बढ़ाने के साथ ही इनके संरक्षण और वासस्थल विकास पर खास ध्यान केंद्रित करने का सुझाव दिया गया था। यही कारण है कि इस क्षेत्र में सिक्योर हिमालय परियोजना की चालू वित्तीय वर्ष की वार्षिक कार्ययोजना में हिम तेंदुओं पर खास फोकस किया गया है। मुख्य वन संरक्षक वन्यजीव आरके मिश्रा ने बताया कि वार्षिक कार्ययोजना में इस वर्ष के लिए 3.16 करोड़ का प्रस्ताव यूएनडीपी को भेजा गया है। उन्होंने बताया कि हिम तेंदुओं को केंद्र में रखकर कार्ययोजना तैयार की गई है। इसके तहत हिम तेंदुओं के वासस्थल विकास, सुरक्षा को कदम उठाए जाएंगे। इन इलाकों में कैमरा ट्रैप की संख्या बढ़ाई जाएगी, जो सुरक्षा के साथ ही इनकी संख्या का पता लगाने में कारगर होंगे। उन्होंने बताया कि कार्ययोजना के तहत स्थानीय ग्रामीणों की आजीविका विकास को भी कदम उठाए जाएंगे। इनमें गोविंद वाइल्डलाइफ सेंचुरी के 43 और अस्कोट सेंचुरी के 17 गांव शामिल हैं। इन गांवों में जड़ी-बूटी एवं फलोत्पादन, रोजगारपरक प्रशिक्षण, स्थानीय उत्पादों का विपणन, चारा विकास, इको टूरिज्म जैसे कदम उठाए जाने प्रस्तावित हैं।
बतातें चलें कि सिक्योर हिमालय के तहत पिछले साल तीन करोड़ की राशि उत्तराखंड को मिली थी, मगर इसका आधा हिस्सा सरेंडर करना पड़ा था। बजट देरी से मिलने को इसकी वजह बताया गया था। इससे सबक लेते हुए इस बार वक्त पर वार्षिक कार्ययोजना भेजी गई है।
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