ऐतिहासिक डाकघर: 184 साल पुराना
![](https://memoirspublishing.com/wp-content/uploads/2025/01/300x250-4.jpeg)
मसूरी। ब्रिटिश शासनकाल में ‘पहाड़ों की रानी’ मसूरी में सन् 1837 में स्थापित लंढौर डाकघर मुकदमा हार जाने के कारण बंद कर दिया गया है। देश आजाद होने के बाद मनीआर्डर प्राप्त करने व भेजने का यह एकमात्र जरिया था। स्थानीय निवासी वर्तमान तक पार्सल, रजिस्ट्री, स्पीड पोस्ट व बैंकिंग की सुविधा के लिए इस डाकघर का उपयोग कर रहे थे। 184 साल पुराने डाकघर में कामकाज बंद कर कुलड़ी स्थित मुख्य डाकघर में सामान की शिफ्टंग शुरू कर दी गई। स्थानीय निवासियों का कहना है कि इस डाकघर को बंद करना उनकी भावनाओं को आहत करने जैसा है। लंढौर स्थित डाकघर का जिक्र प्रसिद्ध अंग्रेजी लेखक पद्म भूषण रस्किन बांड की कहानियों में भी हुआ है।
मसूरी ट्रेडर्स एंड वेलफेयर एसोसिएशन के अध्यक्ष रजत अग्रवाल के अनुसार जिस मकान में डाकघर संचालित हो रहा था, उसके मालिक की डाक विभाग के साथ मुकदमेबाजी चल रही थी। मकान मालिक अपनी जमीन खाली कराने के लिए डाक विभाग के खिलाफ कोर्ट में गया था। डाक विभाग यह मुकदमा हार गया है। कोर्ट के आदेश के अनुसार डाक विभाग को परिसर खाली करना है। रजत ने बताया कि डाक विभाग की वर्तमान पोस्ट आफिस से 100 मीटर की दूरी पर अपनी जमीन है, लेकिन वहां पर विभाग डाकघर नहीं बनाना चाहता है। वर्तमान डाकघर में लगभग नौ हजार खाताधारक हैं।
लंढोर में डाकघर की स्थापना मसूरी के संस्थापक कैप्टन फ्रेडरिक यंग ने की थी। एक जानकर के अनुसार मसूरी के सबसे पुराने लंढौर बाजार के मध्य बावड़ी के पास डाकघर की स्थापना वर्ष 1837 में हुई थी। अंग्रेजों ने लंढौर को सैन्य छावनी के रूप में स्थापित किया था। यहां ब्रिटिश आर्मी के अधिकारी रहा करते थे, लिहाजा उनकी सुविधा के लिए ही यहां डाकघर खोला गया। लंढौर डाकघर ने बतौर मुख्य डाकघर साल 1909 तक सेवा दी। इसके बाद डाक विभाग ने मध्य कुलड़ी में नया मुख्य डाकघर बना दिया। कहा जाता है कि प्रसिद्ध शिकारी जिम कार्बेट के पिता क्रिस्टोफर विलियम कार्बेट ने डाकघर में बतौर पोस्ट मास्टर 1850 से 1863 तक सेवा दी थी।
184 साल पुराने लंढौर डाकघर के बाद अब मसूरी के लाइब्रेरी बाजार स्थित सेवाएं होटल परिसर में भी साल 1902 में बनाया दूसरा डाकघर बंद करने की तैयारी हो रही है। डाक विभाग ने पिछले साल से ही 119 साल पुराने इस डाकघर को शिफ्ट करने की तैयारी शुरू कर दी थी। इतिहासकार जयप्रकाश उत्तराखंडी ने बताया कि सेवाएं में ऐतिहासिक डाकघर विदेशी व स्थानीय पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र रहा है। सेवाएं होटल देश के सबसे पुराने होटलों में से एक है। इसका इतिहास भी बेहद दिलचस्प रहा है। यहां प्रयोग होने वाली मोहर में आज भी ‘सेवाय मसूरी’ ही लिखा हुआ है।