
देशवासियो मैं मदद करूँ कोरोना पर ?
ठीक है मैं कर देता हूँ मदद
वैसे आप लोग तो बहुत सयाने हैं
जो आप लोगों की सयानगी पर लगाएं नजर
वे सब के सब काने हैं।
न सब हिन्दू अच्छे हैं
न सब मुसलमान अच्छे हैं
पर यह तो मानोगे कि कितना भी आ जाए गुस्सा
कोई हिन्दू नहीं दे सकता धमकी कि तोड़ दूँगा देश
मेरी कौम कुछ भी कर सकती है
आग लगा सकती है चारों ओर—वगैरह–वगैरह।
बहरहाल, ये है जिहाद की आग
जो धधकती रहती है कई दिलों मे
बस थोड़ी हवा लगी नहीं कि हो गई बे-काबू
जैसे कई मर्तबा हो चुका है
कई मर्तबा होता रहेगा भविष्य में।
खैर! मैं मदद करना चाहता हूँ आपकी कोरोना के मसले पर
आजकल, आप लोग परेशान हैं सोच-सोचकर
कोरोना फैल रहा है तेजी से
मोदी जी की तमाम बन्दियों के बावजूद
अगर मोदी जी समय पर न उठाते ये कदम
तो शायद हम और आप हो चुके होते बे-दम
मोदी जी के प्रयास नहीं हैं कम
हम लोग हैं कोरोना-ग्राफ बढ़ने के जिम्मेदार
हम ही हैं चोरों के असली सरदार।
याद करो गुजरे मार्च का दौर
उसके बाद अप्रैल की भागमभाग और दौड़
जब तबलीगी-सुल्तान जिहादाना साद निजामुद्दीन-दिल्ली में बैठकर
पाव, आधा-पाव, किलो-आधा किलो के बना रहा था कोरोना बम
‘कोरोना और जिहाद’ को मिलाकर मानव-बम कर रहा था तैयार
देशी और विदेशी तबलीगियों को दे रहा था तालीम
ताकि वे बन सकें मुकम्मल फिदायीन
वर्ना ड्रैगनिस्तान के करिश्मे की हो जाती तौहीन
जिहादाना साद हुआ कामयाब बन गया वह कट्टर मुसलमानों का आफताब
कोरोना के कुरियर-बम पहुँच गए भारत के कोने-कोने
जब षड़यंत्र खुला तो देशवासी लग गए रोने-धोने
कहा गया मुसलमानों को बनाया जा रहा है टारगेट
मन ही मन खुश हो रहे थे ये देशद्रोही
क्योंकि जगह-जगह बम बरसा चुका था इनका जेट।
सोचा था इन दुष्टों ने
मच जाएगी देश में खलबली
गद्दी छोड़ कर भाग जाएगा मोदी-महाबली
जो पूरे देश की चिंता करने वाला आदमी है
वह इनकी नजर में देश के लिए खतरनाक आदमी है
खतरनाक तो वाकई है
उसने 2550 विदेशी तबलीगियों को कर दिया दस साल के लिए ब्लैक लिस्ट
जो सैलानी के नाम पर फरेब करके आए थे भारत
दिल्ली बेस कैम्प से छेड़ी जिन्होने भारत के खिलाफ कोरोना की महाभारत।
तबलीगियों की जिहादी सूनामी के बाद आई
भारत में ‘कड़वे-शरबत’ की दिल-दहला देने वाली सूनामी
जो सोचते थे अन्यथा कि देश है खिलाड़ियों का
उन्हें चल गया पता कि यह देश बन चुका है पिलाड़ियों का
टूट पड़े थे देश के चप्पे-चप्पे से पिलाड़ी ‘कड़वे-शरबत’ के भंडारों पर
ज़लजला सा छा गया था सड़कों और गलियारों पर
सेटेलाइट-कार्टोसेट ने सोचा होगा भारत में इतनी ड्रैगनिस्तान की दीवारें कहाँ से आई
क्या बुजुर्ग,क्या नौजवान और क्या औरतें इनकी प्यास थी इन्हें खींच लाई
अगर इन पिलाड़ियों ने उस दिन जेबों में ठूँसे धन का
आधा धन प्रधानमंत्री को दान कर दिया होता
तो पीएम केयर फंड लबालब भर गया होता
सीएम केयर फंडों में बाढ़ आ गई होती
पिलाड़ियो!तुम्हारी सूनामी की तस्वीरें कोरोना-काल की सुनहरी उपलब्धि है
मुझे तुम्हारे नशा प्रेम पर गर्व है किसी से तो प्रेम है तुम्हें
देश से कितना प्रेम है तुम्हे यह पता चल चुका है हमें
इन दो दुर्घटनाओं ने कोरोना को कर दिया मालामाल
अब-दिखाई पड़ने लगा है कोरोना का जानलेवा-जाल
समझे कि नहीं अगर समझ भी गए तो क्या फायदा?
-सावित्री पुत्र वीर झुग्गीवाला, स्वतंत्र पत्रकार, देहरादून।