
सावित्री पुत्र वीर झुग्गीवाला द्वारा रचित-
Virendra Dev Gaur Chief Editor (NWN)
भूत बन चुकी मनहूस
बाबरी मस्जिद की
बुनियाद का ज़र्रा-ज़र्रा
चीख-चीख कर यह कह रहा
कितनी बेरहमी से
विदेशी आक्रमणकारी बाबर ने
विध्वंस किया था
श्री राम के मन्दिर का पुर्जा-पुर्जा।
बुतपरस्ती के
जिहादी दुश्मनों ने
वहशीपन की हदों को किया था पार
श्री राम मन्दिर की पवित्र मूर्तियों को
दरों-दीवारों और दहलीज़ों पर
चिनवाया था आर-पार।
श्री राम की मूर्तियाँ
कदमों तले बिछाई थीं
श्री राम के भक्तों की लाशें
माँ सरयू में बहाई थीं।
छोड़ दो
अयोध्या धाम काशी मथुरा और आगरा
1947 से पहले का पूरा भारत
राम-कृष्ण की माटी है
यह सारा इलाका भारत का
पृथ्वीराज चौहान महाराणा प्रताप लक्ष्मीबाई
और शिवाजी महाराज की थाती है
सोच-सोच कर खौलते अंगारे सा यह सच
पल-पल फटती हमारी छाती है।
सुप्रीम कोर्ट की मनमानी पर
बे-बुनियाद अड़ियल आनाकानी पर
जो कोई कटार चलाएगा
भारत माता के लाड़ का वह
भागीदार बन जाएगा
श्री राम-चरणों के घोर अपमान पर
जो अपना शीश कटाएगा
सुन लो ऐ पूरे भारत
वही भारत माता का सच्चा लाल कहाएगा।
सन सैंतालीस में मिली आज़ादी
समझो तब होगी पूरी
श्री राम मन्दिर के निर्माण की
दूर होगी जब हर मजबूरी
आस-पास तो क्या दूर-दूर तक
कोई और इमारत ना बनने पाए
हर मुमकिन कोशिश में इसकी
हमारा शरीर भले ही मिट-मिट जाए।
-इति नहीं
The National News