देहरादून (संवाददाता)। क्लीनिकल इस्टैब्लिशमेंट एक्ट में संशोधन की मांग को लेकर प्रदेश के निजी डॉक्टरों की हड़ताल 7वें दिन भी जारी रही। डॉक्टरों ने सरकार से आर-पार की लड़ाई का मन बना लिया है। एक्ट के विरोध में निजी डॉक्टरों ने अपने क्लीनिक्स, नर्सिंग होम्स और डायग्नोस्टिक सेंटरों में तालाबंदी कर रखी है। डॉक्टरों की हड़ताल से प्रदेश की स्वास्थ्य सेवाएं बदहाल हो गई हैं।सरकारी अस्पतालों में मरीजों की लंबी-लंबी लाइनें देखी जा रहीं हैं। एक्ट में संशोधन की मांग को लेकर प्रदेश के निजी डॉक्टर सड़क पर उतर आए हैं। प्रदेश की राजधानी दून, ऋषिकेश के निजी अस्पतालों के डॉक्टरों ने अनिश्चितकाल के लिए अनशन शुरू कर दिया है। उनका कहना है कि अगर सरकार ने उनकी मांग नही मानी तो वो आमरण अनशन करेंगे। निजी डॉक्टरों की हड़ताल का असर हरिद्वार में भी दिख रहा है। जिससे यहां के सरकारी अस्पतालों में मरीजों की लंबी-लंबी लाइन देखने को मिल रही हैं। डॉक्टरों ने क्लीनिकल इस्टैब्लिशमेंट एक्ट को काला कानून करार दिया है। डॉक्टरों का कहना है कि एक्ट को लागू करने की जो भी बातें हो रही हैं वो सकारात्मक दिशा में नहीं हैं। डॉक्टर मरीजों की सेवा करना चाहते हैं। डॉक्टरों ने चेतावनी देते हुए कहा कि जब तक कानून में ढील नहीं दी जाएगी तब तक उनकी हड़ताल जारी रहेगी।

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