श्रीराम चरण वन्दना
दलित पीड़ित शोषित उपेक्षित के कृपा निधान
धर्म न्याय शांति समाज-समरसता पर पल-पल बलिदान
तपस्वी विष्व कल्याण-साधक मर्यादा पुरुशोत्तम-महान
पुत्र पति भाई राजा संन्यासी अतुलनीय दया-निधान
हे त्रिलोक शिरोमणि सियापति सरल-सहज सर्वश्रेष्ठ भगवान।
चरणों में तेरे शोषित प्रभो सारे सनातन धाम
तेरी चरण वंदना से बढ़कर प्रभो नहीं कोई काम
मानव बनकर तुम विचरे जहाँ धन्य वह भारत महान
प्रभो भारतीयता की तुम आत्मा और जान
विष्व समाज को पिरोने का हो प्रभो तुम अभीष्ट वरदान
राज परिवार में जन्मे पर स्वयं जीते रहे बनकर दलित प्रधान।
शबरी सुग्रीव केवट निशादराज प्रसंग अनोखे
श्री राम हृदय से बहती प्रेम की गंगा जग देखे
घास-पात पेड़ पौधे पत्थर धरा-गगन सब डोले
कण-कण तृण-तृण सब जय श्री राम बोले
निष्छल निश्छल करुणासागर जटायु दुर्दशा पर रोये
जानकी रक्षा में जब गिद्धराज ने प्राण अपने खोए।
जग उद्धार हेतु भूपति कन्दराओं में रहे शिलाओं पर सोए
जीवन के चौदह साल परोपकार में रहे खोए
साधु-संत महात्मा सज्जन शांति-सुकून पाए
दैत्य दानव आतंकी उपद्रवी पर लोक पहुँचाए
अजानबाहु दषरथ कौशल्या सुत तुम राम राज्य लाए।
अंजनि पुत्र महाबली हनुमान भक्त सर्वश्रेष्ठ सहाए
नंदीग्राम सन्त त्यागमूर्ति भरत कठोर तपस्वी सौमित्र लक्ष्मण से अनुज पाए
श्री राम नाम के मेघ त्रिभुवन में ऐसे छाए
राम श्री चरणों की महिमा जो समझे वह राम-राम जपे न अघाए।