चार पैरों वाला छैन-छबीला बाँका जवान था शक्तिमान
फुर्तीला गठीला रौबीला गर्वीला था बेजुबान
ड्यूटी पर हमेशा मुस्तैद रहता था जैसे हो अच्छा इन्सान
पुलिस फोर्स की बना रहा वह अन्तिम दम तक शान
एक दिन आया मौत का सौदागर दबे पाँव किसी को नहीं लगी खबर कानों-कान
निभाते हुए फ़र्ज गँवाई जवान ने पिछली एक टाँग राजनीति का मचा था घमासान
शक्ति का भंडार यकायक बन गया अपाहिज़ मोहताज़ भावनाओं से लहूलुहान
मानव के स्वार्थ पूर्ति का औज़ार कुछ दिन पड़ा रहा निढाल पीड़ित बेजान
सोचता रहा होगा स्वावलम्बी किस गुनाह का कर रहा हूँ मैं तड़फ-तड़फ कर भुगतान
वफादारी में कहाँ हो गई चूक सोचता रहा और निकलती रही आकुल-व्याकुल जान
सुनो प्यारे शक्तिमान की याद में पुलिस पेट्रोल पम्प की स्थापना करने वालो दिलदारो
तुम्हारी महानता और इन्सानियत पर फिदा है वीर तुम जान लो यारो
पुलिस के इतिहास में यह सुनहरा पन्ना है मान लो उत्तराखंड वालो।
Virendra Dev Gaur
Chief Editor (NWN)