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एम्बुलेंस माफिया बन रहे मौत का कारण!

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कोटद्वार । रैफर सेंटर के नाम से प्रसिद्ध राजकीय संयुक्त चिकित्सालय कोटद्वार एक बार फिर चर्चा में आ गया है जहा इस बार एम्बुलेंस माफियाओं की दबंगई के कारण एक मरीज को अपनी जान गवानी पड़ गयी। मामला दो दिन पूर्व का है जब पुष्पा कुंडलिया नाम की एक महिला फरीदाबाद से कोटद्वार एक समारोह में आई हुई थी तब अचानक उनकी तबियत बिगडऩे पर परिजनों द्वारा उन्हें उपचार के लिए राजकीय संयुक्त चिकित्सालय ले जाया गया जहा उपचार के दौरान डॉक्टरों ने उन्हें निमोनिया से पीढित बताकर तत्काल बाहर रेफर करने की बात कही जिस पर परिजनों द्वारा उन्हें एम्स हॉस्पिटल दिल्ली ले जाने के लिए एम्बुलेंस मंगाई जाने लगी। इसी बीच एक व्यक्ति वह पहुचा और बाकी एम्बुलेंस से कम पैसों में एम्बुलेंस भिजवाने की बात करने लगा। जिस पर परिजन तैय्यार हो गए दोनों के बीच 5500 रुपये किराया तय हुआ और एम्बुलेंस मरीज और उसके परिजनों को लेकर एम्स के लिए चल दी। लगभग आधा सफर तय करने के बाद चालक द्वारा मेरठ में किसी व्यक्ति को फ़ोन किया गया और मेरठ से मरीज को दूसरी एम्बुलेंस में शिफ्ट करने की बात कर ली गयी। परिजनों को इस बारे में कोई जानकारी नही थी और मेरठ पहुचते ही एक जगह पर गाड़ी रोककर चालक बोलने लगा कि ये सामने वाली एम्बुलेंस एम्स हॉस्पिटल जा रही है और आप लोग मरीज को उसमे ले जाओ और किराए की बात हम दोनों चालक आपस मे कर लेंगे। जब परिजनों द्वारा उससे कहा गया कि शुरू में हमारे बीच ऐसी कोई बात नही हुई थी तो चालक बहस करने लगा और काफी देर के बाद चालक बोला एम्बुलेंस की चाभी मेरे पास है अब एम्बुलेंस ले जाकर देख लो, और मरीज को कुछ हो गया तो ये मत कहना कि देर मैने की। इसके बाद परिजन मजबूरी में मरीज को दूसरी एम्बुलेंस में ले गए गए जिसमे ऑक्सीजन तक नही थी। वही बदली गयी एम्बुलेंस इस बीच रास्ते मे दो बार बंद भी हुई। जैसे तैसे करके एम्बुलेंस एम्स हॉस्पिटल पहुची जहा एम्बुलेंस चालक ने 500 रुपये मांगे, परिजनों ने बताया कि कोटद्वार से वो जिस एम्बुलेंस में आये थे उसे पूरा भुगतान किया जा चुका है लेकिन एम्बुलेंस चालक ने कहा कि उसने उसे पैसे पुराने किराए के हिसाब से दिए थे अब किराया बढ़ चुका है और परिजनों से 500 रुपये ले कर चलता बना। मरीज का इलाज शुरु होने के कुछ देर बाद ही उसकी मौत हो गयी जिस पर डॉक्टरों का कहना था कि आपने इन्हें लाने में देर कर दी। यदि ये समय से आ जाती तो बचने की उम्मीद ज्यादा थी। इसके बाद परिजन मृतक को लेकर वही से उनके घर फरीदाबाद ले गए। अगले दिन जब इस एम्बुलेंस माफिया की जानकारी जुटाई गई तो पाता चला कि पूर्व में एक छुटभैया नेता रहा ये व्यक्ति हॉस्पिटल में भटकते हुए इस बात का इंतजार करता रहता है कि कब कोई मरीज यह आएगा और डॉक्टर उसे रैफर करने को बोलेंगे और वो मरीज के परिजनों से एम्बुलेंस के बारे में बात करेगा। इस एम्बुलेंस माफिया के पास कई एम्बुलेंस चालकों की लिस्ट होती है और वो अपने हिसाब से उनसे सेटिंग कर मरीज को उनके साथ भेज देता है जहाँ आगे जलकर वो मेरठ में वही सब करते है जो इस बार किया। दरअसल मेरठ से दिल्ली के बीच 24 घंटे हॉस्पिटलों के लिए एम्बुलेंस चलती रहती है और ये एम्बुलेंस चालक उनसे संपर्क में रहते है और हर बार वही करते है जो इस बार किया। जिस कारण अब तक कई लोगो को अपनी जान गवानी पड़ी है।

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